Saturday, September 1, 2012

writing-birth pain of creation


लिखने में टांके टूट जाते हैं, मां-बाप और भगवान सब याद आ जाते हैं । लिखना सही में एक सजा है, जिसे हम स्वयं को जानते-बूझते देते हैं । स्त्री की प्रसव पीड़ा का तो इस जन्म में अनुभव नहीं कर सकता पर रचना रचने की पीड़ा को साझा कर ही सकता हूं।

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