Sunday, September 28, 2014

Delhi players in 17th Asian Games 2014 held at Incheon in South Korea ( दिल्ली के खिलाडि़यों ने दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित 17 वीं एशियाई खेलों 2014 में अनुकरणीय प्रदर्शन)




दिल्ली के खिलाडि़यों ने दक्षिण कोरिया के इंचियोन में आयोजित 17 वीं एशियाई खेलों 2014 में अनुकरणीय प्रदर्शन करते हुए देश के लिए पदक जीतकर एक मिसाल कायम की है। राजधानी के निवासी योगेश्वर दत्त (कुश्ती), अभिषेक वर्मा (तीरंदाज), संदीप सेजवाल (तैराकी), श्रेयसी सिंह, (निशानेबाजी), युकी भांबरी (टेनिस) और द्विज शरण (टेनिस) ने 17 वें एशियाई खेलों 2014 में अपने शानदार प्रदर्शन से दिल्ली को गौरान्वित किया है। 

17 वीं एशियाई खेलों के नौंवे दिन भारत ने चार स्वर्ण पदक, पांच रजत पदक और 26 कांस्य पदक सहित कुल 35 पदक प्राप्त किए हैं। इन कुल पदकों में से दो स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और चार कांस्य पदक का योगदान दिल्ली का है।  

अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने फ्री स्टाइल कुश्ती के 65 किलोग्राम वजन वर्ग में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने ताजिकिस्तान के यूसुपोव जालिम खान को 1-0 से हराया। सन् 1986 के बाद इस देश का कुश्ती में यह पहला और एषियाई खेलों के चैथा स्वर्ण पदक है। उन्होंने ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में भी इसी श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था। 

अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज अभिषेक वर्मा ने कम्पाउंड रिकर्व वर्ग की टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक और इसी श्रेणी की व्यक्तिगत वर्ग स्पर्धा में रजत पदक जीतकर दोहरी सफलता हासिल की है। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल नंबर 1 मॉडल टाउन के छात्र रहे वर्मा ने अपने स्कूल के दिनों से ही मॉडल टाउन स्थित दिल्ली सरकार के छत्रसाल स्टेडियम के तीरंदाजी कोचिंग सेंटर से कोचिंग और प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
अंतरराष्ट्रीय तैराक संदीप सेजवाल ने तैराकी में 50 मीटर व्यक्तिगत ब्रेस्ट स्ट्रोक स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है। सन् 1994 से लेकर 2002 तक उन्होंने अपने स्कूली दिनों से सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर छह, आर के पुरम के परिसर में स्थित तरणताल में लगातार कोचिंग और प्रशिक्षण प्राप्त किया। 

अंतरराष्ट्रीय डबल ट्रैप निशानेबाज श्रेयसी सिंह ने देश के लिए कांस्य पदक जीता है जबकि वे इसी खेल में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीती थी। जबकि अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी युकी भांबरी ने पुरुष टेनिस के व्यक्तिगत वर्ग में कांस्य पदक और द्विज शरण के साथ पुरुष युगल वर्ग में भी में कांस्य पदक हासिल किया है। द्विज शरण इस साल इंगलैंड की विम्बलडन प्रतियोगिता में भी भाग ले चुके है। 

इन खिलाडि़यों के अलावा दिल्ली के दूसरे खिलाड़ी भी 17 वीं एशियाई खेलों 2014 में कुश्ती, टेबल टेनिस, एथलेटिक्स और कबड्डी सहित विभिन्न खेल स्पर्धाओं में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और देष को उनसे भी पदक ही तगड़ी उम्मीदें हैं।
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने 17 वें एशियाई खेलों, 2014 के प्रत्येक स्वर्ण पदक विजेता को 20 लाख रुपए, प्रत्येक रजत पदक विजेता को 14 लाख रुपए और प्रत्येक के कांस्य पदक विजेता को 10 लाख  रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान करेगीं। 

निदेशालय के राजधानी में खेल को प्रोत्साहन देने के कार्यक्रम के तहत उपरोक्त में वर्णित इन सभी खिलाडि़यों को नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगितओं में भाग लेने के लिए निदेशालय की ओर से वित्तीय सहायता दी जा रही है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए ख्याति अर्जित करने वाले राजधानी के खिलाडि़यों को सरकार की ओर से नकद प्रोत्साहन प्रदान की जाती है। यह नकद प्रोत्साहन राशि 5,000 रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक की है। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2014 में इस नकद प्रोत्साहन की राशि को प्रत्येक श्रेणी में दोगुना कर दिया गया है। 

इतना ही नहीं, हाल ही में, निदेशालय ने ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैम्पियनशिप में पदक विजेताओं के प्रशिक्षकों के लिए भी नकद प्रोत्साहन प्रदान राशि देनी शुरू की है।


Name of the Player
Medal
Sports Category

Sh. Yogeshwar Dutt
Gold

Wrestling
Sh. Abhishek Verma
Gold

Silver

Compound Recurve category (team event)
Compound Recurve category (individual)

Sh. Sandeep Sejwal
Bronze

Swimming
(50 metre individual breast stroke)
Ms. Shreyasi Singh

Bronze
Double trap shooting
Mr. Yuki Bhambri

Bronze
Bronze

Tennis (individual)
Tennis (men doubles)
Mr. Divij Sharan

Bronze
Tennis (men doubles)

Delhi Government Schools: Cleanliness campaign (स्वच्छ विद्यालय-स्वच्छ दिल्ली अभियान)



दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय महात्मा गांधी जयंती से लेकर पूरे महीने (2-31 अक्तूबर तक) के लिए स्वच्छ विद्यालय-स्वच्छ दिल्ली अभियान शुरू करेगा। इस अभियान के तहत शिक्षा निदेशालय के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त स्कूल, मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय, क्षेत्रीय शाखाएं, खेल परिसर, पत्राचार विद्यालय, विज्ञान केन्द्र और निदेशालय से जुड़े सभी अन्य प्रतिष्ठान सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इस अभियान का बृहत्तर उद्देश्य व्यक्ति, सरकार और समाज के स्तर पर जागरूकता कायम करते हुए समूचे राष्ट्र जीवन में स्वच्छता का संस्कार डालना है।
स्वच्छ विद्यालय-स्वच्छ दिल्ली अभियान में राजधानी के स्कूली बच्चे मुख्य भूमिका निभाते हुए भोजन से पहले और बाद में हाथ साफ करने के साथ स्वच्छता के संदेष को अपने माता-पिता, घर-परिवार और पास-पड़ोस तक पहुचायेगे पहुंचाएंगे। इतना ही नहीं, वे व्यक्तिगत रूप से शरीर को साफ सुथरा रखने और अपने घरों के पास की स्थानीय बसावट को स्वच्छ रखने को लेकर भी समाज में जागरूकता पैदा करेंगे। इस अवसर पर बच्चे से लेकर बुजुर्ग के भी जन्मदिन पर पौधा रोपने और पौधे के पनपने तक उसकी पर्याप्त देखभाल करने की बात को भी बढ़ावा दिया जाएगा। एक तरह से, स्कूली बच्चों के सक्रिय भागीदारी ही इस अभियान की सफलता की धुरी है।
सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक शिक्षकों की सहायता से स्कूल में शौचालयों को उपयोगी और प्रयोग लायक बनाने, स्कूल में पेयजल के क्षेत्र की सफाई करने, स्कूल भवन के सामने वाले भाग और प्रवेश द्वार को साफ करने और खूबसूरत बनाने, प्रतिदिन सुबह स्कूल की प्रार्थना सभा में स्वच्छता की प्रतिज्ञा लेने और स्कूल की ओर से आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में बच्चों की भागीदारी को सुनिश्चित करेंगे।
इस अभियान से तात्कालिक लाभ यह होगा कि स्कूलों, शिक्षा कार्यालयों और स्टेडियमों की पूरी सफाई, उपयोग के योग्य और साफ शौचालय, अनुपयोगी और कबाड़ वाली वस्तुओं जैसे डेस्क, पुराने फर्नीचर और बिजली के सामान की नीलामी, स्कूल परिसरों में उपयुक्त स्थानों पर पौधारोपण के साथ छात्रों, स्कूल स्टाफ और स्थानीय समाज के व्यक्तियों को शरीर की व्यक्तिगत साफ-सफाई और स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा होगी।

Friday, September 19, 2014

महानगरों में बिकता लोक_Metro Cities



लखटकिया की नौकरी में अपने लोक को बचाए रखने के जद्दोजहद से पार हो तो 'लोक' को याद करें। वैसे भी छोटे परदे पर रोशनी बिखरने वालों के अपने गांव और कस्बे स्याह अँधेरे के दूर होने के लिए 'तारणहारों' के इंतज़ार में थक गए है, शायद वहाँ से अब सारे रास्ते, महानगरों की तरफ ही जा रहे हैं, वापसी की कोई राह नहीं है।
यह विडम्बना अगर मिट जाएंगी तो गरीबी बिकेगी कैसे और टीआरपी बढ़ेगी कैसे ?

दुष्चक्र है, कोई महानगर के सहूलियत छोड़ कर 'घर वापसी' का तलबगार नहीं है बस उसकी याद और यादों को बतौर कच्चा माल इस्तेमाल कर रहा है, अपने लिए हर कोई।




दाना-पानी_livelihood




जहां दाना-पानी ले जाये, इंसान वही उड़ जाता है....

जिंदगी-निर्मल वर्मा_Life:Nirmal Verma



इस दुनिया में कितनी दुनियाएं खाली पड़ी रहती हैं, जबकि लोग गलत जगह पर रहकर सारी जिंदगी गंवा देते रहती हैं.
-निर्मल वर्मा (अंतिम अरण्य)

Thursday, September 18, 2014

जीवन में विराम_no full stop in life



 
पढ़ी जा चुकी पुस्तकें, बदले जा चुके मकान, जिए जा चुके संबंध...भला जीवन में कहीं विराम है! 

तिब्बत–राम मनोहर लोहिया (Tibet_Lohia)



कौन कौम अपने बड़े देवी-देवताओं को परदेस में बसाती है, वह भी शिव और पार्वती को । मैकमोहन रेखा हिन्दुस्तान और चीन की रेखा तो है नहीं, हो रही तो कैलाश मानसरोवर उसकी रखवाली में रहेंगे । तिब्बत हमारा भाई है।
–राम मनोहर लोहिया

Wednesday, September 17, 2014

Chinese attack-krisna menon (चीन आक्रमण-कृष्णमेनन)




दिल्ली में १९६२, चीन आक्रमण के (खल)नायक कॉमरेड कृष्णमेनन के नाम पर एक मार्ग भी है, चीन के राष्ट्रपति को शायद ही यह बात पता हो !
यहाँ तक की उनके नाम पर एक डाक टिकट भी है, ज्यादा जानना हो तो खुशवंत सिंह की आत्मकथा का भी परायण किया जा सकता है.

शिक्षा: राजनीतिकरण-बदहाली (Education in rural area)



शिक्षा के राजनीतिकरण और उसके दुष्परिणामों से इंकार तो नहीं किया जा सकता.
खास पर आज के समय में ग्रामीण इलाकों में सरकारी प्राथमिक शिक्षा के बदहाली से तो कौन इंकार कर सकता है?
बीते बीस साल के समय को, एक बार पलट कर देखे तो सही.

Tuesday, September 16, 2014

मुश्किल घड़ियाँ_Hard time often leads to success




 
ऐसा अक्सर होता है कि आपकी सबसे मुश्किल घड़ियाँ, जिंदगी के सबसे गौरवशाली क्षणों की ओर अग्रसर करती है। सो विश्वास कायम रखें। अंत में सब भला ही होगा।

Sunday, September 14, 2014

हिंदी हैं हम, वतन हैं....Hindi Nationality to langauge


हिंदी हैं हम, वतन हैं....
आज 'हिंदी दिवस' पर अनेक फेसबुक मित्रों की वाल पर यह पढ़ने को मिला. 

पहली बात वतन तो हिंदी से पहले भी था !
दूसरी, यहाँ हिंदी का मतलब भाषा के लिए न होकर नागरिकता के लिए है. यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि बाद में इन्हीं पंक्तियों के रचियता इकबाल ने चीन-ओ-अरब हमारा, हिंदूस्तान हमारा मुस्लिम हैं हमवतन है सारा जहां हमारा का राग भी अलापा. 
आज के उत्तर प्रदेश और तब के संयुक्त प्रान्त में मुसलमानों ने उर्दू और देश से अलग होने की आवाज़ बुलंद की थी. 
राही मासूम रज़ा के क्लासिक उपन्यास 'आधा गाँव' में इस खंडित मुस्लिम मानसिकता और देश-महजब के विरोधाभास को बखूबी उकेरा गया है. 
इस तरह समझने वाली बात यह है कि अच्छे उदेश्य से बात का मूल सन्दर्भ नहीं बदल जाता. इसलिए हमेशा सन्दर्भ सहित की बात को ध्यान में रखकर बात कहना बेहतर होता है. ऐसे में किसी भी तरह के उदाहरण की बैसाखियों की कोई जरुरत नहीं रह जाती. सो बात को गुनकर, अपने अनुभव के आधार पर लिखना ज्यादा सही और प्रभावी है.

हिंदी-हस्ती_hindi-self

हिंदी में लिखने की कसौटी मेरे संपादक और अग्रज ने बताई थी जो दिमाग में सदा के लिए दर्ज हो गयी, अगर तुम हिंदी लिखते हो तो तुम्हारी माँ को लिखा समझ में आना चाहिए, उस समय मेरी शादी नहीं हुई थी. सो दुनिया माँ से शुरू होती थी और माँ पर खत्म. 
आज माँ तो रही नहीं, हां पर मेरा लिखा मेरी पत्नी समझ आता है, बेटी को पता है. 
सो, लगता है सफल है लिखना बाकि मैं तो अभी सीखने के कोशिश में अपना अभ्यास जारी रखे, खुद को मांझने की कोशिश कर रहा हूँ , कितना सफल रहा अभी तक यह तो पढ़ने वाले ही बता पाएगे.....
रोजी-रोटी, मान-सम्मान और अपने पर अभिमान हिंदी का ही दिया है, बाकि मेरी हस्ती ही क्या है ?

Saturday, September 13, 2014

सीखा-आईआईएमसी_iimc



मैं आज ही आईआईएमसी के दिनों की याद में एक साथी से कह रहा था कि हमारे बैच में कितने रथी थे और कुछ महारथी जिसमे विकास भी एक था. कितना कुछ सीखा एक दूसरे से बिना सिखाए-बताये.

प्यार_love



पुराने प्यार के प्रति कटुता सर्वथा अनुचित है पर फिर भी हम त्रस्त होते हैं और दूसरे को दुखी करते हैं............

Friday, September 12, 2014

Set Top Boxes in Metro Cities of India


In the first phase, four metro cities of Delhi, Mumbai, Kolkata and Chennai were digitized by 31.10.2012. The multi-system operators issued total number of 84.89 lakhs Set Top Boxes for installation in the four metro cities of Delhi, Mumbai, Kolkata and Chennai till March 2013.In the second phase, 38 cities were to be digitized by 31.3.2013. The multi-system operators issued 218.22 lakhs STBs for installation in the 38 cities.
 
The Government has always encouraged the domestic manufacturing sector to take advantage of the Cable TV Digitisation initiative. It is expected that the domestic industry will get a fillip as Department of Telecommunication has now confirmed that Set Top Boxes are a part of Telecommunications Network vide letter No. 18-06/2014-IP dated 30.6.2014.  
Source: http://164.100.47.5/qsearch/QResult.aspx

Primary schools in delhi



In capital, there are 420 schools under Government of NCT of Delhi having primary wings and Delhi Cantonment Board has six Senior Secondary Schools and one Secondary level school having primary wings whereas New Delhi Municipal Council (NDMC) has 13 Senior Secondary Schools having primary wings.
Source: http://164.100.47.5/qsearch/QResult.aspx 

Thursday, September 11, 2014

सच-मिलावट_flow of thoughts





जो बिना सोचे निकले वही सच है बाकि तो मिलावट है सोच की 

ख्याल (Thought)



    ख्याल 
दिन में तो वह दिल में था, सो नज़र नहीं आया
रात आई तो उसका साया ही हमसाया था

आपबीती-जगकही कहानी_story of self for spelt

कहानी लिखने का तो मुझे पता नहीं या कहूं मुझमें वह समझ नहीं. मुझे तो यह आपबीती सच को दूसरों के लिए झूठ लिखने सरीखा लगता है.
एक बार हिम्मत की तो कहानी लिखने के फेर में कुछ ऐसा लिख दिया कि मेरे लिखे पर एक दोस्त इतनी नाराज़ हो गयी कि उसने न केवल बात करनी बंद कर दी बल्कि मोबाइल और फेसबुक से भी मेरा नाम हटा दिया.
सो शुरू में ही हिम्मत चुक गयी. 

Crisis-Life






In life, controversies create crisis with a challenge for a person to transcend beyond it.


व्यक्ति के जीवन में विवाद से संकट पैदा होते हैं 
और उसके सामने उनसे पार जाने की चुनौती होती है.

मजबूर-थके मन से चूर (exhausted)





मजबूरी बड़ी भी है और बुरी भी. हर कोई कहीं न कहीं मजबूर है और थके मन से चूर भी.

सुरक्षा या आज़ादी (security or independence)




सुरक्षा या आज़ादी ? बात बस अपनी पसंद की है. एक में मूल्य देना पड़ता है और दूसरे में चुकाना पड़ता है. 

Wednesday, September 10, 2014

nude_नंग




नंगों में ढके तन वालों का और कपड़े वालों में बदन उघाड़ो का एक हश्र होता है.… 

अन्त:प्रेरणा (inspiration)


 
प्रेरणा के लिए बाहरी जगत से किसी सहारे की जरुरत पड़ती है जबकि अन्त:प्रेरणा सदैव प्रेरित रखती है.

Tirth (तीर्थ)


तीर्थ, बाहर की नहीं भीतर की खोज है. बाहर उलझने वाले खुद को बिसरा देते हैं और जीवन बीत जाता है दूसरों की निगहबानी में.

Delhi Heritage Buildings


In Delhi, there are 1208 heritage buildings out of which 174 monuments are protected by the Government of India. 

As per Delhi Development Authority Master Plan 2021, there are 1208 heritage buildings which have been identified out of which 174 monuments are protected by the Archaeological Survey of India. The Archaeological Survey of India is responsible for maintaining centrally protected monuments declared as of National Importance under the Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 and Rules, 1959. 

These 174 Centrally Protected Monuments are under the jurisdiction of Delhi Circle of Archaeological Survey of India. It has mapped/documented all the centrally protected monuments under the jurisdiction of Delhi Circle in the capital. The Centrally protected monuments are maintained and conserved as per the provisions of the Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 and Rules, 1959, Amendment and Validation Act, 2010. 

In last three years an amount of Rs. 927.56 lakh (2011-12), Rs. 1100.98 lakh (2012-13) and 1301.98 lakh (2013-14) have been spent on the conservation of these monuments.

The Archaeological Survey of India has deployed watch & ward staff and engaged the services of private security guards and Armed Police personnel for the safety and protection of centrally protected monuments in Delhi.

Tuesday, September 9, 2014

अबोल (silence)



कड़वा बोलने से तो अबोल रहना उचित है.………

Monday, September 8, 2014

इंतज़ार (Waiting)


बाजार के कलदार
सिक्कों की झंकार में
सब बह गए 
कुछ सायास 
कुछ अनायास 
कुछ जाने 
कुछ अनजाने 
कलम के सिपाही 
शब्दों के जादूगर 
लाल झंडे के झंडाबरदार
सुर के साधक 
अधिकारों के ठेकेदार 
कुछ ने रंग बदल लिया 
किसी ने असली रंग दिखा दिया 
कुछ ने बदरंग कर दिया 
कुछ रंगरेज़ हो गए 
इन सबसे अनजान 
हैरान, परेशान अकेला आदमी 
फिर अपने अकेलेपन में 
चुप हो गया 
एक नए इंद्रधनुषी सपने के 
इंतज़ार में 


पत्रकारिता डिग्री



क्या पत्रकारिता में बिना औपचारिक ज्ञान, जिसे आज की भाषा में डिग्री कहा जाता है, के आने वाले पत्रकार कमतर मानना उपयुक्त है ? 
आखिर राजनीति और पत्रकारिता का साथ तो चोली-दामन का माना जाता है तो फिर एक के लिए नैतिकता और लक्ष्मण रेखा और दूसरे के लिए ग्रीन चैनल! 
बड़ी नाइंसाफी है, नेता का बेटा होटल खोल ले तो भारी गड़बड़ और संपादक का हॉस्पिटल खोल ले तो आगे गली तंग है. 

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...