Monday, April 27, 2015

बिहार को वैल्यू_value of bihar




हैरानी की बात है, बीबीसी हिंदी की स्टोरी में बिहार के बाशिंदे कह रहे हैं कि "मीडिया वाले भी बिहार को वैल्यू नहीं देना चाहते."
जबकि आईआईएमसी के मेरे ही बैच में बिहारी छात्रों की बहुलता और आज दिल्ली में उनका शीर्ष मीडिया संस्थानों में नामचीन होना कुछ अचरज पैदा करता है.
यानि मीडिया में तो बिहारी की वैल्यू है पर बिहार की नहीं!
यह तो मौजूं सवाल हो गया ?
अब मेरी बुद्धि में तो उत्तर है नहीं, आपको सूझे तो समझाएं.

Sunday, April 26, 2015

टीवी पत्रकारिता_TV Journalism



भोजपुरी-मैथिल का तड़का लगाकर, देस का होने का भ्रम देने वाले उत्तरी बिहार की त्रासदी को शायद देख नहीं पा रहे हैं.
नेपाल भूकंप की त्रासदी को लेकर अभी तक सफ़ेद कबूतर और मोमबत्ती वाले नहीं आएं और न ही स्त्रीवादी विमर्श वाली महिलाएं दिखी हैं.  इन सबकी अनुपस्थिति में बौद्धिक चैनल विधवा स्त्री की सूनी मांग-सा लग रहा है. आखिर हम लोग बहस कैसे करेंगे?


अभी एक ब्लॉग में पढ़ा तो पता चला कि टीवी की दुनिया के दोस्तों को नेपाल के भूकंप में भारत सरकार की त्वरित सहायता की बात 'सुनने' ही आई है, 'देखने' में नहीं. क्या करे मुंह की लगी है ग़ालिब छूटती नहीं, होश में होते हुए भी सुरूर रहता है.
लगता था कि टीवी पत्रकारिता में रतौंदी है पर अब पता चला कि ''कानों पर भी जोर डालना होता है" तब उन्हें 'दिखता' है.जब छोटा था, शायद तीसरी में तब घर में शटर वाला क्राउन का टीवी आया था.
वह टीवी, हमारे एक कमरे के जनता फ्लैट में रहने तक साथ रहा जब मैं दसवी में आ गया था.उस समय तक टीवी को कुछ-कुछ होने लगा था, मसलन चलते-चलते रुक जाता था और रुकते-रुकते चलने लगता था. ऐसे में, मैं टीवी को बगल से चांटा लगता था और टीवी ठीक हो जाता था.
अब यह चांटे का चमत्कार था या भीतर किसी कलपुर्जे का अपने से निकलना-जुड़ना पता नहीं!आज एक मित्र टीवी पत्रकार के चलते, अपने पुराने टीवी और पत्रकारिता की काली-सफ़ेद कारगुजारियां याद आ गयी.

पटना के तारामंडल में बिहार कथा समारोह में उत्तर बिहार में भूकंप में मारे गए लोगों के लिए प्रति दो शब्द नहीं निकले, श्रद्धांजलि तो दूर की बात है । 

अब इसकी खबर दिल्ली के खबरिया चैनलों के बिहारी एंकर, रिपोर्टर और चैनल हेड को देनी होगी या उनको आकाशवाणी हो जाएगी. 

अब हम देखेंगे नहीं खबर सुनेंगे.
ऐसे में अगर, नेपाल में आए भूकंप को लेकर पत्रकारों, खासकर टीवी एंकरों और पत्रकारों के पास, के पास कोई चमत्कारिक योजना हो तो उन्हें मानवता की सेवा में अग्रणी बनकर आगे आना चाहिए, हो सकता है महादेव की कृपा से उनके चैनलों की टीआरपी रेटिंग ही बढ़ जाए।


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