Monday, April 23, 2012

SEX: TRADE OR ?

सेक्स व्यापार
सेक्स वर्कर शब्द ही स्त्री की गरिमा के अनुकूल नहीं है क्योंकि इसका स्वयंभू अर्थ ही विवादास्पद है । मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि हमारे पत्रकार और शिक्षा जगत से जुड़े व्यक्ति भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश से विलग शब्द, अर्थ और विवेचना को आखिर क्यों कर इस्तेमाल करते हैं । मुझे आशा नहीं, पूरा विश्वास है कि एक दिन हमारे देसी बौद्विक उनके इस अंर्तविरोधी व्यवहार कर्म पर ध्यान देंगे । आज के कथित खुले समाज में, जहां बाजार ही जीने की शर्ते तय कर रहा है, स्त्री एक वस्तु के रूप में परिवर्तित कर दी गई है । हम अपने सामाजिक परिवेश और व्यवहार जगत में ऐसी शब्दावली का प्रयोग करके अनायास ही उसे संस्थागत रूप देते हुए अनजाने ही सेक्स व्यापार को स्वीकृति दे रहे हैं ।

Sunday, April 22, 2012

The ‘sex worker’ word is itself no up to mark for woman as the term itself is contentious. I am failed to understand that why in India our journalists and academics use freely the terms and explanations alien to our socio-cultural arena. I am sure that day will come when our intellectuals will pay their attention to this contrast. As in today's so called open society with market dictating the terms with converting the woman into a commodity. By using this phrase in our social domain and discourse by default, we are institutionalizing it and inadvertently giving acceptance to the ‘trade of sex’.

Love dies hard like old fever

प्रेमिका-रोग


पुरानी प्रेमिका का स्मरण बोध और पुराना रोग रह रह कर जोर मारता है ।

Friday, April 13, 2012

Arthavaved

अथर्ववेद का प्रसंग

एक आर्यसमाजी युवा संन्यासी ने सुनाया, अथर्ववेद का प्रसंग. उसमें कहा गया है कि हे मनुष्य ! अपनी आदत सुधारो. तुम उल्लू की चाल मत चलो. यानी मोह-अंधकार से उबरो. उल्लू, मोह और अंधकार का प्रतीक है. तुम भेड़िये की चाल छोड़ दो. भेड़िया, हिंसा और क्रोध का संकेत है. मनुष्य के लिए यह भी प्रार्थना है कि तुम श्वान (कुत्ता) न बनो. श्वान का संदर्भ चापलूसी से है. इससे भी है कि एक कुत्ता, दूसरे से झगड़ता ही है. इसलिए कुत्ते की इन दोनों आदतों से मुक्ति की प्रार्थना है. गरुड़ का अहंकार न पालो. गरुड़ को अपने पैर और सुंदरता पर अहंकार है.
मनुष्य अहंकार से मुक्ति पाये, इसका आशय यह है. गिद्ध की चाल मनुष्य न चले, इसकी चेतावनी है. यानी लालची न बने. मनुष्य के संदर्भ में अथर्ववेद में यह प्रार्थना है कि ऐसे आचरण छोड़ कर वह चले, बढ़े और जीवन में कुछ करे. पर आज गलाकाट प्रतियोगिता की दुनिया में हम कहां खड़े हैं? या पहुंच गये हैं? पहले हर घर में या खासतौर से गांवों में धर्मग्रंथों का पारायण होता था.

Tuesday, April 10, 2012

Repriprocity

इज्जत देंगे तो इज्जत मिलेगी, संबोधन तो मात्र शीशा है चेहरे का आपका, अभाव का भाव नहीं हो सकता ।

Memory

अच्छी बातें याद रखनी चाहिए, बाकी को भूला देना ही ठीक होता है । दिमाग के कंप्यूटर में टेम्पेरेरी फाइलों को रेगूलर डिलीट करते रहना चाहिए ।

Sunday, April 1, 2012

History

“History does not repeat itself,” it is famously said, “but fools repeat history.” Philosopher-poet George Santayana put it slightly differently when he wrote— “Those who cannot remember the past are condemned to repeat it.”

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...