Friday, November 13, 2020

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान






कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे से सोचने पर विवश कर दिया है। 

आज कारों और बसों वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की तुलना में साइकिल एक परिपूर्ण, सस्ती और प्रदूषण रहित विकल्प के रूप में सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट के अनुसार, बहुधा एक शहर में पैदल चलने और साइकिल चलाने वालों की संख्या सर्वाधिक होती हैं। आबादी के इस वर्ग में निवेश करके मानव-जीवन का बचाव संभव है, जो कि पर्यावरण सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन में भी सहायक है। खराब जलवायु परिवर्तन के विरुद्व साइकिल व्यक्ति की रक्षा का एक प्रभावी प्रतीक बनकर उभरी है। 

भारत में साइकिल खासी लोकप्रिय रही है।इसी साइकिल की सुरक्षा के लिए गोदरेज ने नवंबर, 1962 में एक साइकिल लॉक (ताले) बनाकर अपनी धाक जमाई थी। यह अलग बात है कि आज दुनिया बहुत आगे बढ़ चुकी है और साइकिल लाॅक जैसी चीजें बहुत सामान्य हो चुकी है।

भारतीय इतिहास में झांकने पर पता चलता है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्ति-संघर्ष में साइकिल का गहरा संबंध था। तब साइकिल, देसी उद्योगों के उत्पादन में वृद्वि और भारतीयों के स्वभाव में स्वदेशी के उपयोग के भाव को जागृत करने वाली वस्तु थी। स्वतंत्रता पूर्व, भारत आयातित साइकिलों पर ही निर्भर था, लेकिन फिर भी साइकिल के स्वदेशी महत्वाकांक्षाओं से जुड़े होने के कारण उसकी लोकप्रियता और उपलब्धता में वृद्वि हुई थी। 

1950 के दशक में साइकिल उन पहली आधुनिक उपभोक्ता वस्तुओं में से एक थी, जिसका उपयोग ग्रामीण समाज के निचले स्तर तक हुआ था।  

अंग्रेज भारत में पहली साइकिल का आगमन वर्ष 1890 में हुआ। साइकिल का नियमित आयात वर्ष 1905 में आरंभ हुआ जो कि आधी सदी तक जारी रहा। आजादी के बाद, स्वदेशी साइकिल उद्योग को बढ़ावा देने के हिसाब से सरकार ने वर्ष 1953 में विदेशी साइकिलों के आयात पर रोक लगा दी। भारतीय समाज में परिवहन के एक सस्ते साधन के रूप में साइकिल की उपस्थिति के कारण साइकिल उद्योग से जुड़े विभिन्न कलपुर्जों का एक बड़ा देसी बाजार विकसित हुआ। बहुप्रचलित साइकिल लॉक (ताला) एक ऐसा ही महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण था। दुनिया में साइकिल लॉक के आविष्कार की कोई निश्चित तिथि तो नहीं है। पर भारत में सबसे पहले गोदरेज कंपनी ने नवंबर, 1962 में साइकिल लाॅक बनाया था। पांच-पिन वाला यह गोलाकार बंद ताला चाबी लगाकर घुमाने पर ही खुलता था। बम्बई के लालबाग पारेल स्थित गोदरेज कार्यालय ने पूरे देश के अपने स्टॉकिस्टों-डीलरों को एक पत्र लिखकर साइकिल लाॅक के अपने नए उत्पाद के बारे में बताया था। तब एक साइकिल लाॅक की कीमत चार रुपए रखी गयी थी।


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First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

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