कभी बहुत पहले पीटीआइ के दिनों में एक लिखी कविता की एक लाइन है होने न होने के बीच का अहसास ही कविता को संभव करता है
जिंदगी में मुश्किलों का अंत नहीं था
पर मेरे दोस्तों में भी दम था
दोनों में होड़ थी
कौन किस को पछा़ड़ता है
बिना भागे
जिंदगी से
जिंदगी में मुश्किलों का अंत नहीं था
पर मेरे दोस्तों में भी दम था
दोनों में होड़ थी
कौन किस को पछा़ड़ता है
बिना भागे
जिंदगी से
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