रात की आखिरी मेट्रो थी लिहाजा खचाखच थी। लेडिज कम्पार्टमेंट में वे एक दूसरे से ऐसे घुलेमिले थे मानो गर्म पानी में रम । दूसरे मुसाफिरों पर जोड़े के रमने का सुरूर तारी था । लेडिज डिब्बा मुकम्मल प्यार की रील था । सबकी निगाहों का फोकस इन पर था तो जोड़ा एक दूसरे में डूबा था । आखिरी स्टेशन के साथ रील खत्म हुई तो पात्र भी उबरे और दर्शक भी । जिंदगी फिर अपनी रफ्तार पर चल पड़ी।
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