भगवान कोई रास्ता इसलिए बंद करता है कि आप नए चार रास्तों पर बढ़ो। जो चुक गया, उसके साथ चुकना, बंदरिया की तरह अपने मरे हुए बच्चे को छाती से चिपकाने सरीखा है ।
जीवन का दायरा
जीवन में दायरे से बाहर जाकर झांकना चाहिए, लीक से हटकर सोचना और करना जरूरी है। नहीं तो आप अपने ही नाते रिश्तेदार और कथित मित्रों से उलझ कर रह जाते है। ये मित्र साथी कम और मुकाबले में चुनौती देने वाले साबित होते है।
ननिहाल की याद
जब मौका मिले, झांक लेता हूं । जैसे ननिहाल में हम सब बच्चे फेरीवाले के फेर में रहते थे और मौका मिलते ही खिड़की में से उचक कर देख लेते थे मानो कुछ हुआ ही न हो । मौका मिलने पर फाटक वाला दरवाजा खोल कर दबे पांव चप्पल उतारकर नंगे पांव गर्म रेत पर दौड़ जाते थे, ठंडी कुल्फी की आस में । कितनी अलग दुनिया थी अब न नानी है, न ननिहाल और न ही नौनिहाल तथा न ही जौ, बाजरा और गेहूं कि एवज में कुल्फी देने वाला कुल्फीवाला ।
समय का चक्का सब को घिस देता है, सड़क को भी, पहिए को भी और उस पर चलने वाले को भी ।
मतलब आप चाहते कुछ और है और होता कुछ और है । जरूर भगवान आपको अपने सपनों को पूरा करने की ताकत दें ।
सच कहना और संग रहना नर्तक की तरह बांस पकड़कर रस्सी पर चलने सरीखा है।
today's politics makes divisions but not create vision. so before politics we have to develop a vision to see across the wall means future of our coming generation. It lies only in Education and particular girls education. We should make education as a torch for our upliftment instead of spending our energy on so called politics.