दोद क्या ज़ाने यस नो बने, गमुक्य जामु छिम वलिथ तने गरु गरु फीरुस पेयम कने, डयूठुम नु कांह ति पनुनि कने। (दर्द वह क्या जाने जिस पर न बने गम के वस्त्र हैं मैंने पहने घर घर घूमी संगसार हुई कोई नहीं था मेरे कने (साथ)।)
-ललद्यद
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