अभी तो शुरू हुआ है सफर,
मंजिल पर है नज़र,
क्या बताओ होगा क्या अंजाम,
जब मैं ही हूँ बेखबर
बीच रास्ते में मत पूछ किधर,
चले हैं दो लोग, किस डगर,
क्या बताओ, कैसा होगा सफर,
जब मैं ही हूँ बेखबर
अभी तो पाना है, खोना है अक्सर,
जिंदगी पर रखो नज़र,
अभी कैसे बताऊँ मेरे हमसफर,
जब मैं ही हूँ बेखबर
कितने इम्तिहान, कैसा होगा सफर,
अभी से कहूँ, कैसे अगर-मगर,
कितने मुकाम बाकी है खैर,
जब मैं ही हूँ बेखबर
सो हिम्मत रख, मेरे हमसफर,
गम-खुशियाँ आनी हैं, मगर
सिलसिलावार जारी रखना है, यह सफर
मुझे हैं, तेरी खबर
न हो तू मुझसे बेखबर।
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