Wednesday, January 6, 2016
Mastani Bajirao_बिना मस्तानी के भी था एक बाजीराव
पेशवा बाजीराव के बारे में अंग्रेज इतिहासकार रिचर्ड टेम्पल ने लिखा है कि वे घुड़सवारी में अद्वितीय थे तथा आक्रमण में आगे रहकर भयंकर से भयंकर स्थितियों में अपने को सदैव परखने के लिए इच्छुक रहा करते थे। वे कष्ट सहिष्णु थे। अपने सैनिकों के साथ आपत्तियों को झेलने में वे गर्व महसूस करते थे। स्वदेश भक्ति से ओत प्रोत हिन्दुत्व के पुराने विरोधी मुसलमानों और नए बैरी अंग्रेजों पर विजय पाना वे राष्ट्रीय धर्म समझते थे। बाजीराव ने हिंदू पद पादशाही के आदर्श का प्रचार किया और इसे लोकप्रिय बनाया ताकि अन्य हिंदू राजा इस योजना में मुगलों के विरुद्ध इनका पक्ष लें और साथ दें।
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