Thursday, December 1, 2011

Lines

बिकते रहे फुटपाथों पर पुरानी किताबों की तरह ।

खंजर से तो कत्ल होते कईयों ने देखाए बात से मरते हुए किसी ने गौर नहीं किया ।

हम भी आजमाते है, अपने आप को, कुछ उनको और कुछ अपने समय को जो घिसता सबको चाक पर कुम्हार की तरह ।

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