मंजिल
बेसबब गुजर गया मुकाम से बिना नजर डाले ।
मंजिल पर थी निगाहें सो नजर आया नहीं कोई ।
दिल में रहता था कोई, इसका हमें गुमान था ।
बसाकर किसी दूसरे का घर, उसने अपने अहसास से भी जुदा कर दिया ।
बेसबब गुजर गया मुकाम से बिना नजर डाले ।
मंजिल पर थी निगाहें सो नजर आया नहीं कोई ।
दिल में रहता था कोई, इसका हमें गुमान था ।
बसाकर किसी दूसरे का घर, उसने अपने अहसास से भी जुदा कर दिया ।
No comments:
Post a Comment