किताब का पढ़ना तो दो चार दिन में ही हो जाता है। फिर उसे समझने के लिए ज्यादा समय लगता है। यह दूध उबाल कर,उसका दही जमाने से लेकर घी निकालने के समान है ।
क्या क़यामत है कि जिनके नाम पर पसपा[2] हुए
उन ही लोगों को मुक़ाबिल में सफ़आरा[3] देखना
शब्दार्थ:2. ↑ पराजित 3. ↑ युद्ध मे...
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