Wednesday, October 24, 2012

Rajasthan in New Delhi

नई दिल्ली की बसावट में राजस्थान का अविस्मरणीय योगदान
मेरे पिताजी जब ठेकेदारी के व्यवसाय के शिखर पर थे तो 6,000 से ऊपर मजदूर और दर्जनों क्लर्क, मुनीम और देखरेख करने वाले कर्मचारी उनकी सेवा में थे । मजदूर राजस्थान से आनेवाले बागड़ी लोग थे । अपने सिर पर ईटें, सीमेंट और गारा ढ़ोने के एवज में पुरूषों को आठ आने आधा रुपया और उनकी स्त्रियों को छह आने दैनिक मजदूरी मिलती थी ।
(सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत, पेज 40-41, खुशवंत सिंह)

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