चीन के पेकिंग विदेशी भाषा प्रेस से प्रकाशित 'सिंपल ज्योग्राफी ऑफ़ चाइना' पुस्तक में मुद्रित मानचित्रों में पूर्वी लद्दाख के बड़े हिस्से (अक्साई चिन), पंजाब और उत्तर प्रदेश के भागों सहित समूचे नेफा (आज का अरूणाचल प्रदेश) को चीन के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया था। वर्ष 1958 में छपी 'ग्लिम्पसेज ऑफ चाइना' में, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के हिस्सों सहित समूचे नेफा को चीन का भाग दिखाया गया था। जबकि वर्ष 1960 में प्रकाशित 'चीन-भारत सीमा के सवाल पर दस्तावेज' में भी इन इलाकों को गलत तरीके से चीन का भाग चित्रित किया गया था। अना लुइस स्ट्राग की लिखी 'वेन सर्फस् स्टूड अप इन तिब्बत' पुस्तक में पूर्वी लद्दाख के विशाल भाग सहित पूरे नेफा को चीन का हिस्सा बताया गया था। मैकमोहन लाइन को भारत की वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में संदिग्ध बताने की नीयत से आंकड़ों के साथ हेराफेरी की गई थी। जबकि कोलंबो से छपी 'विदर इंडिया-चाइन रिलेशन्स?' पुस्तक में जम्मू-कश्मीर के चीन अधिकृत भाग को परंपरागत रूप से चीन का हिस्सा और मैकमोहन लाइन को अवैध बताया गया था।
'चित्रों में चीन के मुख्य पर्यटन नगर' और 'चीन की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की पहली पंचवर्षीय योजना' शीर्षक वाली पुस्तकों में भी जम्मू-कश्मीर सहित समूचे नेफा को चीन का भाग प्रदर्शित किया गया था। हेवलेट जानसन की 'अपसर्ज आफ चाइना' (1961) के दो मानचित्रों में नेफा और चीन का हिस्सा और जम्मू-कश्मीर को भारत का भाग न बताने के कारण प्रतिबंधित किया गया। 'विक्टरी फार द फाइव प्रिंसिपल्स' शीर्षक वाले पर्चे में भी ऐसे ही गलत ढंग से नेफा और जम्मू-कश्मीर को और वर्ल्ड वाॅल मैप में समूचे नेफा को चीन का भाग प्रदर्शित किया गया था।
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