Thursday, October 15, 2020

Check on chinese propoganda_1962_1962_लगाई थी, चीन के दुष्प्रचार पर लगाम




भारत सरकार ने आज के दिन 58 वर्ष पूर्व चीन से संबंधित आठ पुस्तकेंएक पर्चा और एक मानचित्र को गैर कानूनी घोषित कर दिया था।

15 अक्तूबर 1962 को ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि ये सभी "भारत की क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं को संदिग्ध बनाते हुए देश की रक्षा और सुरक्षा के हितों के प्रति पूर्वाग्रहपूर्ण होने की संभावना उत्पन्न" करते थे।


इन प्रकाशनों में 'सिंपल ज्योग्राफी ऑफ़ चाइना', 'ग्लिमसेंज ऑफ़ चाइना', 'चीन-भारत सीमा प्रश्न के दस्तावेज', 'वेन सर्फस् स्टूड अप इन तिब्बत', 'विदर इंडिया-चाइन रिलेशन्स?', 'चित्रों में चीन के मुख्य पर्यटन नगर', 'चीन की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की पहली पंचवर्षीय योजना', 'अपसर्ज आफ चाइना', 'विक्टरी फार द फाइव प्रिंसिपल्सऔर शिकागो की कंपनी ए. जे. नैस्ट्रोम के प्रकाशित मानचित्र शामिल थे। तब आपराधिक कानून अधिनियम, 1961 के तहत जारी आदेश के विषय में सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन प्रकाशनों के बारे में सूचित किया गया। भारत सरकार ने इन प्रकाशनों की समस्त प्रतियों सहित इनके पुर्नमुद्रितअनुदित और चुनींदा अंशों के दस्तावेजों को भी जब्त कर लिया।


चीन के पेकिंग विदेशी भाषा प्रेस से प्रकाशित 'सिंपल ज्योग्राफी ऑफ़ चाइनापुस्तक में मुद्रित मानचित्रों में पूर्वी लद्दाख के बड़े हिस्से (अक्साई चिन)पंजाब और उत्तर प्रदेश के भागों सहित समूचे नेफा (आज का अरूणाचल प्रदेश) को चीन के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया था। वर्ष 1958 में छपी 'ग्लिम्पसेज ऑफ चाइनामेंजम्मू-कश्मीरहिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के हिस्सों सहित समूचे नेफा को चीन का भाग दिखाया गया था। जबकि वर्ष 1960 में प्रकाशित 'चीन-भारत सीमा के सवाल पर दस्तावेजमें भी इन इलाकों को गलत तरीके से चीन का भाग चित्रित किया गया था। अना लुइस स्ट्राग की लिखी 'वेन सर्फस् स्टूड अप इन तिब्बतपुस्तक में पूर्वी लद्दाख के विशाल भाग सहित पूरे नेफा को चीन का हिस्सा बताया गया था। मैकमोहन लाइन को भारत की वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में संदिग्ध बताने की नीयत से आंकड़ों के साथ हेराफेरी की गई थी। जबकि कोलंबो से छपी 'विदर इंडिया-चाइन रिलेशन्स?' पुस्तक में जम्मू-कश्मीर के चीन अधिकृत भाग को परंपरागत रूप से चीन का हिस्सा और मैकमोहन लाइन को अवैध बताया गया था। 


उल्लेखनीय है कि वर्ष 1914 के शिमला समझौते के तहत तत्कालीन ब्रिटिश विदेश सचिव-मुख्य वार्ताकार हेनरी मैकमोहन के अंग्रेज भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र और तिब्बत के मध्य तय सीमांकन रेखा ही मैकमोहन रेखा मानी जाती है। इसकी कानूनी वैधता को लेकर चीन को गलत आपत्ति जताता रहा है।  

'चित्रों में चीन के मुख्य पर्यटन नगरऔर 'चीन की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की पहली पंचवर्षीय योजनाशीर्षक वाली पुस्तकों में भी जम्मू-कश्मीर सहित समूचे नेफा को चीन का भाग प्रदर्शित किया गया था। हेवलेट जानसन की 'अपसर्ज आफ चाइना' (1961) के दो मानचित्रों में नेफा और चीन का हिस्सा और जम्मू-कश्मीर को भारत का भाग न बताने के कारण प्रतिबंधित किया गया। 'विक्टरी फार द फाइव प्रिंसिपल्सशीर्षक वाले पर्चे में भी ऐसे ही गलत ढंग से नेफा और जम्मू-कश्मीर को और वर्ल्ड वाॅल मैप में समूचे नेफा को चीन का भाग प्रदर्शित किया गया था।


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