Sunday, October 11, 2020

Mahatma Gandhi_thoughts


शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के महत्व को स्वीकार किए बिना राष्ट्रीय भावना जागृत नहीं होगी। क्या देश के लिए इससे बड़ा अपमान है?
-महात्मा गांधी, खंड 96, संपूर्ण गांधी वांड्मय, 17 जुलाई 1947


गाँधी_वेश्या_देवदासी प्रथा
1921 में बारीसाल (जो अब बंग्लादेश में है) में रात के दस बजे करीब एक सौ वेश्याओं के साथ दुभाषिये के जरिये बातचीत करके जो अनुभव गाँधी ने प्राप्त किये उसे 11 सितम्बर 1921 के नवजीवन (गुजराती पत्र) में इस प्रकार रखा था-ये बहनें जानबूझ कर इस पाप में नहीं पडी। पुरूषों ने उन्हें इसमें गिराया है। जिनको इस बात पर दर्द होता है उन्हें चाहिए कि वे प्रायश्चित के रूप में इन पतित बहनों को हाथ बढा कर सहारा दें। जब-जब इन बहनों का चित्र मेरी आँखों के सामने आता है तब-तब मुझे ख्याल होता है कि अगर ये मेरी बहनें या बेटियाँ होतीं तो ! और होतीं तो क्यों वे हैं ही, उनको उठाना मेरा काम है। प्रत्येक पुरूष का काम है।.....स्वराज्य का अर्थ है पतितों का उद्धार।
यही नहीं दक्षिण भारत में प्रचलित देवदासी प्रथा का विरोध करते हुए गाँधी ने 16 अप्रैल 1925 के यंग इंडिया में लिखा-दक्षिण यात्रा में मुझे जितने अभिनंदन-पत्र मिले उन सब में अत्यन्त हृदयस्पर्शी वह था जो देवदासियों की ओर से दिया गया था। देवदासियों को वेश्या शब्द का सौम्य पर्याय ही समझिए।.... यह अत्यन्त लज्जा, परिताप और ग्लानि की बात है कि पुरूषों की विषय-तृप्ति के लिए कितनी ही बहनों को अपना सतीत्व बेच देना पडता है। पुरूष ने विधि-विधान के इस विधाता ने अबला कही जानेवाली जाति को बरबस जो पतन की राह पर चलाया है, उसके लिए उसे भीषण दंड का भागी होना पडेगा।.... मैं हर युवक से वह विवाहित हो या अविवाहित, जो कुछ मैंने लिखा है, उसके तात्पर्य पर विचार करने का अनुरोध करता हूँ। इस सामाजिक रोग, नैतिक कोढ के संबंध में मैंने जो कुछ सुना है, वह सब मैं नहीं लिख सकता। विषय बडा नाजुक है, पर इसी कारण इस बात की ज्यादा आवष्यकता है कि सभी विचारशील लोग इसकी ओर ध्यान दें।


No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...