Thursday, November 5, 2020
Maker of Modern India_Sardar Patel_Rozgar Samachar_आधुनिक भारत के वास्तविक निर्माता_सरदार पटेल
सरदार पटेल ने 4 नवंबर 1948 को नागपुर में स्टेट एडवाइजरी कौंसिल के उद्घाटन करते हुए कहा था, ‘‘मैं आपको बतलाना चाहता हूं कि मेरे दिल में रियासतों को एकत्रित करने की और उन्हें हिन्दुस्तान में मिलाने की कल्पना किस तरह उद्भूत हुई, उसका ख्याल मैं आपके सामने रखना चाहता हूं। जब मैंने हिन्दुस्तान सरकार के गृहमंत्री का पद स्वीकार किया, तब मुझे कोई ख्याल न था कि इन देशी रियासतों का काम मेरे पास आने वाला है। उनका क्या नक्शा बनेगा, यह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था। हिन्दुस्तान में यह जो बड़ा भारी विप्लव हुआ है, जिससे देशी रियासतों की समस्या इतने थोड़े समय में हल हो गई है। यह सब क्योंकर हुआ, किस तरह से हुआ, इसे अभी कम लोग जानते हैं। उससे क्या लाभालाभ हुए, उन सब के मूल्य आंकने में अभी वक्त लगेगा। जो कुछ हुआ, उसे कम लोग जानते हैं।’’
सरदार पटेल रियासतों के एकीकरण के बाद देश के समक्ष आने वाली नई चुनौतियों को लेकर पूरी तरह सजग थे। उन्होंने इसी बात को रेखांकित करते हुए 15 जुलाई 1948 को पेप्सू के उद्घाटन भाषण में कहा था कि राजाओं के पास से राज्य ले लेना आसान है। क्योंकि जब तक हमारे ऊपर परदेसी हुकूमत थी, तक राजाओं के दिल में चाहे कुछ भी रहा हो, लेकिन तब वे भी आजाद नहीं थे। जैसे हम तब गुलाम थे, वे हम से भी दुगुनी गुलामी में फंसे हुए थे। अब हम सब आजाद हैं। यह आप समझ लें कि मैंने बहुत-से राजाओं के साथ प्रजा की तरफ से लड़ाई की। बहुत-से राजा मुझ पर कुछ नाखुश भी थे। लेकिन आज जितनी मेरी राजाओं के साथ मुहब्बत है, उतनी और किसी की नहीं होगी। क्योंकि स्वतन्त्र राजाओं के दिल में भी देश के लिए उतना ही प्रेम है, जितना हमारे दिलों में है। उससे कम नहीं है। उससे कम होता, तो स्वतन्त्र हिन्दुस्तान में किसी का राज्य नहीं चल सकता था। तो राजा लोग समझ गए और उन्होंने अपनी जगह समझ ली। बीच में एक मौका ऐसा आया था कि कई राजा अलग राजस्थान बनाने के लिए कोशिश कर रहे थे। जब पाकिस्तान बना तो उस समय यह हिन्दुस्तान के और टुकड़े करने की कोशिश भी हो रही थी। तब पटियाला महाराजा ने कहा कि ऐसा कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के राजा हिन्दुस्तान के साथ रहेंगे। उसी समय से मेरी उन से मुहब्बत हुई। वह मुहब्बत कभी टूट नहीं सकतीं।
सरदार पटेल ने 3 अक्तूबर 1948 को दिल्ली के इम्पीरियल होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में साफ शब्दों में कहा था कि आप यह भी समझ लें कि राजाओं ने भी अपना साथ हमें दिया। जैसे हम में सब भले नहीं हैं, बुरे भी हैं, वैसे उनमें भी भले और बुरे दोनों हैं। लेकिन जब देश आजाद हुआ, तो उनको भी ख्याल हुआ कि ये लोग मुल्क का कुछ भला करना चाहते हैं और इस में हमें साथ देना चाहिए। अब जिसके पास राज है उसको छोड़ देना, जिसके पास सत्ता है, उसे छोड़ देना, यह कितनी कठिन बात है। जो छोड़े, उसी को मालूम पड़ेगा। जिसके पास नहीं है, उसका यह कहना कि यह आसान बात है, बेमतलब है। कुछ लोग कहते हैं कि हमने राजाओं को इतना पर्स दिया, इतना रुपया दिया, इतना पेंशन दिया। लेकिन जो जानता है उसको मालूम है कि यह एक प्रकार का बहुत बड़ा विप्लव है, एक बड़ा रेवोल्यूशन (क्रांति) है। हमें उनकी कोई खुशामद नहीं करनी पड़ी और उन्होंने देश के हित के लिए स्वयं इतना बड़ा स्वार्थत्याग किया। यह भगवान की बड़ी कृपा है और हिन्दुस्तान के सदभाग्य और भविष्य के लिए अच्छा है।
बम्बई की चौपाटी में आयोजित एक जनसभा (30 अक्तूबर 1948) में सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत की स्थिति को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज हमने राजाओं के हाथ से सत्ता लेकर प्रजा के प्रतिनिधियों को दे तो दी है, पर वहां किस प्रकार काम चलता है और हमारी वहां क्या-क्या जिम्मेदारी है और कितनी हद तक जिम्मेदारी पूरी हो रही है, अगर यह सब हम सोचें, तो हमें धक्का लगेगा। इसलिए हमारे सामने अभी जो काम करने को बाकी है, वह बहुत बड़ा है। अभी तो हमने केवल शुरूआत भर की है। जो कुछ हमने किया है, वह भी बड़ी बात है, लेकिन इतनी बड़ी नहीं कि जो काम बाकी रहा है, उसे हम भूल जाएं। अभी तो हमारे पास सांस लेने का भी समय नहीं है, आराम का समय नहीं है। यह सोचने का भी समय नहीं है कि हमारी आयु कितनी है। अभी तो रात-दिन हमें काम करना है। तभी हिन्दुस्तान उठ सकता है, नहीं तो वह गिर जाएगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...
No comments:
Post a Comment