Friday, November 6, 2020

Rajasthan Government magazine_Sujas_Gandhi Issue_सुजस_महात्मा गांधी एकाग्र_राजेश कुमार व्यास




राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की मासिक पत्रिका "सुजस" का सितंबर-अक्तूबर संयुक्तांक "महात्मा गांधी एकाग्र" है। पत्रिका के संपादक डाक्टर राजेश कुमार व्यास के कुशल संपादन में निकला यह अंक गांधी के जीवन और विचार को सांगोपांग समेटने के कारण गागर में सागर है। 


राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने गांधी विचार के साथ गांधी व्यवहार की प्रासंगिकता को रेखांकित किया है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी गांधी के ट्रस्टीशिप सिद्वांत को जनहित में व्यावहारिक रूप में क्रियाशील बनाने की बात को रखा है। जबकि सूचना एवं जनसंपर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी ने गांधीजी के 150 वें जन्म शताब्दी वर्ष पर उनके जीवन दर्शन पर केन्द्रित अंक निकालने की आवश्यकता जताई। 

इन औपचारिक अवदानों के अलावा कुल 92 रंगीन पृष्ठों की इस सरकारी पत्रिका में राजीव कटारा का 'गांधी की प्रासंगिकता', अरविन्द मोहन का 'सार्वजनिक धन को लेकर गांधी का अनुशासन', सच्चिदानंद जोशी का 'सम्प्रेषणीयता पर जीवन ही संदेश', आनंद प्रधान का 'संपादक-पत्रकार गांधी', मंगलेश डबराल का 'गांधी और काव्य,' दीपक मंजुल का पुस्तकों 'लेखक-अनुवादक गांधी', कमल किशोर गोयनका का 'हिन्द स्वराजः आधुनिक भारतीयता', अभिषेक कुमार मिश्र का 'मानवतायुक्त विकास की वैज्ञानिक दृष्टि', चंद्रकुमार का 'सत्याग्रही वैज्ञानिक', अजय जोशी का 'गांधी का आर्थिक चिन्तन', राजेन्द्र प्रसाद का 'महात्मा गांधी का कला चिन्तन', गजादान चारण का 'राजस्थानी लोक मानस में गांधी', सन्त समीर का 'हिंसा-अहिंसा और गांधी', देवर्षि कलानाथ शास्त्री का 'गांधी अभिनन्दन ग्रंथ', नलिन चौहान का 'राजस्थान में गांधी', राकेश कुमार का 'महात्मा गांधी का जीवन', देवेन्द्र सत्यार्थी का 'जय गांधी', इष्ट देव सांस्कृत्यायन का 'गांधी का ग्राम स्वराज', हरिशंकर शर्मा का 'गांधी संग्रहालय शीर्षक' से लेख संकलित हैं। 


'सुजस' पत्रिका के संपादक डाक्टर राजेश कुमार व्यास के अनुसार, "गांधीजी के जन्म से लेकर जीवन की प्रमुख घटनाओं के आलोक में उनकी सम्पूर्ण जीवनी यहां तिथिवार पाठकों के लिए दी गई है। महात्मा गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिंदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्वानंद ने 1915 में महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। उन्हें बापू के नाम से भी याद किया जाता है। गांधीजी को बापू संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे। सुभाषचंद्र बोस ने 6 जुलाई, 1944 को रंगून रेडियो से गांधीजी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिए उनका आर्शीवाद और शुभकामनाएं मांगी थीं"।


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