Monday, December 24, 2012

Gulzar-Ghalib


असदुल्लहा खां गालिब

बल्लीमारां के मोहल्लों की वो पेचीदा दलीलों की सी गलियां
सामने टाल के नुक्कड पे, बटेरों के कसीदे
गुडगुडाती हुई पान की पीकों में वह दाद, वह वाह-वा
चंद दरवाजों पे लटके हुए बोसीदा से कुछ टाट के परदे
एक बकरी के मिमियाने की आवाज
और धुंधलायी हुई शाम के बेनूर अंधेरे
ऐसे दीवारों से मुंह जोडकर चलते हैं यहाँ
चूडीवालान के कटरे की बडी बी जैसे
अपनी बुझती हुई आंखों से दरवाजे टटोले
इसी बेनूर अंधेरी-सी गली कासिम से
एक तरतीब चरागों की शुरू होती है
एक कुरान-ए-सुखन का सफा खुलता है
असदुल्लाह खां गालिब का पता मिलता है...
                                                            -गुलजार

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...