Wednesday, June 10, 2015

तुम्हारे बिना_Life without you





बिस्तर पर सलवटें 
वैसे ही हैं 
जैसी तुम छोड़ गयी थी

रसोई के बर्तन भी 
तुम्हारे बिना चुपचाप हैं 
सब उदास हैं 

भगवान के मंदिर में
दिया तो जलता है 
पर लौ खामोश है 

घर तो कामवाली 
साफ़ कर जाती है 
कमरों के कोने इंतजार में हैं

पड़ोस वाले भी 
पूछ लेते हैं 
तुमको कब आना है 

बिस्तर, बर्तन, दिया, कमरे 
आस-पास वाले 
कितना तुम्हें याद करते हैं 

इन सबके मन-के धागे में पिरोकर 
फेरता हूँ माला तुम्हारी 
अबोल-अकेले-अपने से 


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