तुझे मंजिलें भी हैं रहगुजर मुझे रहगुजर भी मंजिलें। यहीं फर्क है मेरे हमसफर वह तेरा चलन, यह मेरा चलन।
-फिराक गोरखपुरी (बज्मे जिंदगी)
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