मिला नहीं था जब तक कोई, कितना सुकून से था
अकेला बेशक था पर परेशान कतई नहीं था
खुद से ही करता था कई बातें, तन्हाई में
कोई दोस्त जो नहीं था, मेरी जिंदगी में
रब ने मुझे अकेला ही रखा था
फिर भी कोई गम तो नहीं था
मिलकर तुझसे ऐसा लगा, जिंदगी में
बहार आ गयी हो, मानो चमन में
बिछुड़ने की बात तो कभी ज़ेहन में नहीं आई
पर अलग होकर, अब कितनी काटती है तन्हाई
पता लगा है कि बसा ली है, उसने दुनिया जुदा होकर
हम तो आसरे में थे, सो आँसू भी नहीं निकले रोकर
अब जहां हो आबाद रहो, जिंदगी में खुश होकर
हमने तो कभी हिसाब नहीं रखा, अलग होकर
फिर भी कोई गम तो नहीं था
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