Sunday, February 21, 2016

हजारी प्रसाद द्विवेदी_भीष्म Bhism_Hazari prasad Dwivedi


हजारी प्रसाद द्विवेदी का एक निबंध है "भीष्म को क्षमा नहीं किया गया"। भीष्म को कौरव राज दरबार के नमक का मूल्य चुकाना पड़ा, शरशय्या पर लेटकर। 

भारत में स्व-हित (भीष्म अपनी प्रतिज्ञा से चिपके रहे) से अधिक लोकहित के लिए अपने वचन को तोड़ने वाले श्री कृष्ण को भी अर्चना योग्य माना गया। 

यही अपने वचन से आबद्ध रहने और लोक के लिए स्वयं को भी तुच्छ मानने की परंपरा का अंतर है, जो मानुष को देव बनाता है।

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