Saturday, May 14, 2016

history of name of kankroli_कांकरोली



खांखाडोली के कांकरोली होने की कहानी

खांखा रावत मेवाड़-मारवाड़ में धाड़ा मारते थे। उनकी चारभुजानाथ जी में गहरी आस्था थी। इस कारण एक बार धाड़ा मारने जाते समय उन्होंने चारभुजानाथ में संकल्प लिया कि यदि उन्हें धाड़े में सफलता मिली तो वे मन्दिर निर्माण के साथ पुजारी को डोली देंगे।

खांखा रावत ने सफल धाड़े के बाद मन्दिर बनवाया और पुजारी को डोली दी।
और फिर इस घटना के बाद इस स्थान का नाम खांखाडोली हुआ।

खांखाडोली से खांखरोली और बाद में कांकरोली!
आज का कांकरोली राजसमन्द जिले में है।

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