Saturday, February 17, 2018
Urdu connection of Delhi_दिल्ली-उर्दू का गर्भनाल का नाता
प्रसिद्ध शायर ‘मीर’ तक़ी ‘मीर’ का पहला शेर है (पहला दीवान, 1752 से पूर्व)
भाषा के नाम की हैसियत से उर्दू शब्द का प्रयोग पहली बार 1780 के आसपास हुआ।
आज की उर्दू को मुगल दरबार की भाषा बनते बहुत देर लगी। गैर सरकारी भाषा का रूतबा भी उसके लिए उसी समय सम्भव हो सका, जब शाहआलम द्वितीय (शासनकाल 1759-1806) जनवरी 1772 में दिल्ली वापस आया। उसने अपनी कृति "अजायब-उल-कसस" हिन्दी में ही लिखी।
दिल्ली में जन्मे दाग भी नामचीन शायर थे। उनके ही शब्दों में, उर्दू है जिसका नाम हमीं जानते हैं 'दाग़', हिन्दुस्तां में धूम हमारी ज़बां की है। “गुलजारे दाग”, “आफताबे दाग” और “माहताबे दाग” उनकी कृतियाँ हैं।
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