Saturday, May 19, 2018

Delhi_Aravali Mountain ranges_दिल्ली की अरावली यानी रिज





दिल्ली और अरावली पर्वत श्रृंखला का जन्म-जन्मांतर का अटूट नाता है। उत्तर-पूर्व में यह (अरावली) दिल्ली को छूती है और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात को। जबकि राजस्थान को एक तिरछी रेखा से नापती है, विश्व की प्राचीनतम पर्वतमालाओं में से एक माला अरावली पर्वत की। ऊंचाई भले ही कम हो पर उमर में यह हिमालय से पुरानी है। कुल लंबाई सात सौ किलोमीटर है और इसमें से लगभग साढ़े पांच सौ किलोमीटर राजस्थान को काटती है। वह दिल्ली से दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ती हुई करीब 800 किलोमीटर दूर अहमदाबाद के निकट पहुँचती है जिसकी सबसे अधिक ऊंचाई राजस्थान में करीब 1100 मीटर है। 

अरावली की पहाड़ियों को दिल्ली में रिज के रूप में पहचाना जाता है। दिल्ली समुद्र के औसत स्तर से 305 मीटर से 213 मीटर की ऊंचाई पर बसी हुई है। रिज दिल्ली का वह पहाड़ी या पठारी हिस्सा है, जो कि पानी की स्थिति पर सबसे दूरगामी प्रभाव डालता है।रिज, जो अरावली पर्वत श्रृंखला  की मेवाती शाखा का अंतिम छोर है, दिल्ली की सबसे प्रमुख स्थलाकृतिक विशेषता है। 

“कैम्ब्रियन-पूर्व” तथा  “चतुर्थ कल्प” के समय की है। यह अंचल “कैम्ब्रियन-पूर्व कल्प” कैम्ब्रियन-पूर्व  के अंतिम काल में समुद्र से उबरने के समय से लगातार भू-पृष्ठीय अपरदन को सहता रहा है। इसी काल को भारतीय भू-विज्ञान की शब्दावली में “दिल्ली प्रणाली की अलवर”  कहा गया है। अलवर श्रृंखला  की चट्टानें छोटी पहाड़ियों, रिजों और पठारों में पाई जाती हैं जो संभवतः एक बड़ी वलित संरचरना की अवशेष है। वे जलोढक तथा “चतुर्थ कल्प” की हवाओं द्वारा चौलाई गई रेत से बहुत अधिक भरी और ढकी पड़ी हैं। चतुर्थ कल्पीय निक्षेपों का आवरण सभी मैदानों पर हैं जो दिल्ली क्षेत्र के तीन-चौथाई से अधिक भाग में फैले हैं। 


यह अरावली श्रृंखला  दिल्ली क्षेत्र में दक्षिण से प्रवेश करती है और एक पतली लेकिन जानदार उंगली की तरह उत्तर पूर्व दिशा में यमुना से जा मिलती है। शहर को उत्तर पश्चिम और पश्चिम दिशा में घेरती रिज मानों भारत के केन्द्र की सुरक्षा के लिए प्रकृति-प्रदत्त एक विशाल दुर्ग की प्राचीरें हैं। रिज की एक शाखा भाटी माइंस के निकट मुख्य श्रृंखला  से पृथक हो जाती है और उत्तर पूर्वी दिशा में अनंगपुर तक वक्राकार बढ़ती हुई फिर मुख्य श्रृंखला से जा मिलती है। 

रिज की इस मुख्य शाखा के अतिरिक्त कुछ अन्य स्थानों पर भी इसकी छोटी-बड़ी पहाड़ियां दिखाई देती हैं, जो कि राजधानी को ऊपर से देखने पर एक खास आकर्षण प्रदान करती हैं। विमान से रिज पर दिखाई देने वाली रेखाओं में बरसात का अतिरिक्त पानी बहाकर ले जानेवाले अनेक नाले दिखाई देते हैं। इन प्राकृतिक सूखे नालों में नालियों और मिट्टी के क्षरण से बने गड्ढों में अकसर पानी भर जाता है।

पानी की कमी और भूभाग पथरीला होने के कारण रिज में आम तौर पर हरियाली का अभाव है। अधिक से अधिक उस पर कीकर, करील और बेर जैसे कटीले और झाड़ी वाले वनस्पति ही पनपते हैं। रिज की ऊंचाई भाटी माइंस के पास 1045 फुट है जो संभवतः अधिकतम है। यह ऊंचाई यमुना नदी पर बने पुली की ऊंचाई से 360 फुट अधिक है।

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...