Saturday, May 26, 2018

ghazal_poem_खुशबू




खुशबू हूं तेरी, बिखर जाऊंगा
न चाहे तो भी, निखर जाऊंगा
न देख मुझे, फिर भी नज़र आऊंगा

खुशबू हूं तेरी, बिखर जाऊंगा
चाहता कौन है, न चाहे फिर भी
बिना चाहत के, खबर लेकर आऊंगा

तेरे जाने के बाद, कैसे कटी रात
कुछ याद नहीं मुझे, क्या थी बात
ये न पूछ, कैसे मैं फिर बताऊंगा

अब यह हकीकत है या कोई ख्वाब
कुछ अधूरा लगता है मानो कोई जवाब
जब मुझे ही नहीं मालूम तो क्या बताऊंगा

जिंदगी में हाथ की लकीर हो तुम जैसे
चाहने पर भी न मिट सकती हो वैसे
न कही जाने वाली बात कैसे कह पाउँगा

क्यों सुनना चाहती हो, बरसों पुरानी कहानी
जब जिंदगी बीत गयी, न मैं राजा न तुम रानी
क्या से क्या हो गया, कैसे जुबानी बता पाउँगा

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