दैनिक जागरण 26/05/2018 |
Saturday, May 26, 2018
Wells_Traditional water sources of Delhi in british raj_अंग्रेजी राज में कुओं की अथ कथा
उस दौर में मुख्य रूप से चार तरह के कुओं का प्रयोग होता था। पहला, चिनाई वाला कुंआ ईंट, पत्थर और गारे से बना होता था, जिसे बरसों-बरस के उपयोग के हिसाब से बनाया जाता था। ऐसे कुएं लंबे समय तक पानी देने के काम आते थे। दूसरे, मजबूती के हिसाब से बनने वाले शुष्क चिनाई वाले कुंए थे जो कि मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में होते थे, जहां आस-पास चट्टान के होने के कारण कुएं को बनाने में पत्थरों का उपयोग सस्ता पड़ता था। तीसरे, लकड़ी के कुएं थे। ऐसे कुओं की चारोें ओर बैलगाड़ी के पहिए के समान लकड़ी के नौ इंच से दो फीट लंबे घुमावदार टुकड़े लगे होते थे जो कि अधिक गहरे न होने पर भी बरसों पानी देते थे। खादर इलाके के गांवों में इनकी संख्या अधिक थीं। चौथे, सिंचाई और टिकाऊपन के हिसाब से उपयोगी झार का कुंआ था जो कि जमीन में खुदा एक खड्डा भर होता था।
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