Saturday, July 21, 2018
INA trial at Redfort_लालकिले का आज़ाद हिन्द फौज का मुकदमा
दिल्ली के लालकिले में आजाद हिंद फौज के अफसरों शाह नवाज, पी. के. सहगल और जी.एस. ढिल्लों का पहला मुकदमा 5 नवंबर 1945 को शुरू हुआ। जबकि 30 नवंबर 1945 को गवर्नर जनरल ने भारतीयों में आजाद हिंद फौज की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए मुकदमे के लिए पेश नहीं किए गए आइएनए के सैनिकों को रिहा करने का निर्णय किया।
7 दिसंबर 1945 को जब दोबारा मुकदमा शुरू हुआ तो यह बात जाहिर हुई कि जापानी सेना का आचरण विधि सम्मत नहीं था न कि उनके साथीआइएनए के भारतीय सैनिकों का। मुकदमे में अभियोजन पक्ष के पहले गवाह अंग्रेज सेना में एडजुटेंट जनरल की शाखा के डीसी नाग, जो कि सिंगापुर में कैदी बने, के साथ जिरह में आजाद हिंद फौज के एक संगठित, कुशल प्रशासन वाली सक्षम सेना होने की बात सबके सामने आई। इसका परिणाम यह हुआ कि अचानक सारे राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र आइएनए के कारनामों से भर गए। अंग्रेज सरकार को आइएनए के कारनामों से इतनी परेशानी हुई कि उसने बीबीसी को फौज पर समाचार देने से रोका। इस तरह पहली बार आजाद हिंद फौज का वास्तविक देशभक्त रूप सबके सामने आया।
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