अंग्रेज़ भारत में सरकारी प्रतिबन्ध की शिकार पहली किताब की कहानी.
कम को ही याद होगा कि देश की आज़ादी से पहले लाहौर से एक आर्य समाजी लेखक एम. ए. चमू पति की किताब "रंगीला-रसूल" के प्रकाशन का मूल्य एक और आर्य समाजी, महाशय राजपाल को अपने प्राण देकर चुकाना पड़ा था. उनकी हत्या इल्ल्मुद्दीन नामक व्यक्ति ने की थी.
यह बात "ऑन दी रिकॉर्ड है कि इकबाल ने इस हत्यारे को मियांवाली जेल में फांसी देने शोक जताते हुए, उसका महिमा-मंडन किया था जबकि "महात्मा" मौन थे!
No comments:
Post a Comment