Saturday, May 11, 2019

Jansangh emerged real winner in General Elections 1967 in Delhi_1967 लोकसभा चुनावों में फहरा था जनसंघ का परचम





दिल्ली में 1967 के आम चुनावों की एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यहां की सात सीटों में से छह सीटों पर जनसंघ की जीत थी। इतना ही नहीं, जनसंघ दिल्ली महानगर परिषद के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम में भी सत्तारूढ़ दल के रूप में उभरकर सामने आया। लालकृष्ण आडवाणी अपनी आत्मकथा "मेरा देश, मेरा जीवन" में लिखते हैं कि पांच महीनों के अंदर दिल्ली में लगभग एक साथ तीन चुनाव हुए-लोकसभा, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली मेट्रोपोलिटन काउंसिल के लिए। जनसंघ तीनों में जीता। हमारी पार्टी ने 7 लोकसभा सीटों में से 6, नगर निगम की 100 सीटों में से 52 और परिषद की 56 सीटों में 33 पर विजय प्राप्त की। राष्ट्रीय राजधानी में इस शानदार जीत के साथ ही वर्ष 1962 की 14 लोकसभा सीटों की तुलना में 1967 में कुल 35 सीटों पर कब्जा करके जनसंघस भारतीय राजनीति की एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरा।


1967 के लोकसभा चुनावों में जनसंघ ने 520 लोकसभा क्षेत्रों में दिल्ली के सात क्षेत्रों सहित कुल 249 क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। जनसंघ के लिए न केवल दिल्ली बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर परिणाम उत्साहवर्धक थे। 1962 के लोकसभा चुनावों की तुलना में उसे 1967 में 35 सीटों पर विजय मिली। इतना ही नहीं उसका वोट प्रतिशत, 6.45 प्रतिशत से बढ़कर 9.3 प्रतिशत  हो गया। यह पहले चुनाव थे जब दिल्ली सहित समूचे उत्तर भारत में जनसंघ कांग्रेस के समक्ष एक समर्थ वैकल्पिक विचारधारा वाले दल के रूप में उभरा।


दिल्ली में 15 फरवरी 1967 में हुए आम चुनावों में जनसंघ की ओर से जीतने वाले उम्मीदवारों में नई दिल्ली से मनोहर लाल सोंधी, दक्षिणी दिल्ली से बलराज मधोक, पूर्वी दिल्ली से एच. देवगण, चांदनी चैक से आर. गोपाल, दिल्ली सदर से के.एल. गुप्ता, करोलबाग (अनुसूचित जाति सुरक्षित क्षेत्र) से आर. एल. विद्यार्थी थे जबकि बाहरी दिल्ली से एम. सिंह को कांग्रेस के बी. प्रकाश ने हराया। जबकि बाकी सीटों पर दूसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों में नई दिल्ली से कांग्रेस के एम. सी. खन्ना, दक्षिणी दिल्ली से कांग्रेस के. आर. सिंह, पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के बी. मोहन, चांदनी चौक से कांग्रेस एस. नाथ, दिल्ली सदर से कांग्रेस ए. एन. चावला और करोलबाग से कांग्रेस एन. प्रभाकर थे। इस तरह, छहों सीटों पर हारने वाले उम्मीदवार कांग्रेस के थे।


जनसंघ के प्रत्याशियों में बलराज मधोक ने सबसे अधिक मत (105611) प्राप्त किए और उनके जीत का अंतर भी सर्वाधिक (36321) था। जनसंघ के दो प्रत्याशियों  को अपने-अपने क्षेत्र में पचास प्रतिशत से अधिक मत हासिल हुए, जिनमें मनोहर लाल सोंधी को नई दिल्ली में 55.39 प्रतिशत वोट और मधोक को 54.52 प्रतिशत मिले थे। इन लोकसभा चुनावों में जनसंघ को राजधानी में कुल 523860 (46.72 प्रतिशत) मत तो कांग्रेस को कुल 434937 (38.79 प्रतिशत) मत और कुल 24 निर्दलीय उम्मीदवार 96393 (8.6 प्रतिशत) मत मिले। 


इन चुनावों में आरपीआइ की के. मौर्य दिल्ली सदर लोकसभा क्षेत्र से एकमात्र महिला उम्मीदवार थी, जो कि अपनी जमानत बचाने में विफल रही। उन्हें मात्र 8.22 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। तब दिल्ली में लोकसभा के लिए कुल 16.8 लाख मतदाता थे। तब के लोकसभा चुनावों में पूरी दिल्ली में कुल 1918 पोलिंग स्टेशनों में मतदान हुआ, जिनमें कुल 69.49 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले। 1967 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात सीटों के लिए कुल 46 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। जिनमें 16 राष्ट्रीय दलों के, 6 राज्य स्तरीय दलों के, 6 पंजीकृत (गैर मान्यता प्राप्त) दलों के प्रत्याशी थे। इनमें कुल 32 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुईं, जिनमें 2 राष्ट्रीय दलों के, 6 राज्य स्तरीय दलों के और 24 निर्दलीय उम्मीदवार थे। इस तरह, जनसंघ ने पहली बार दिल्ली में सात में से छह सीटें जीतकर राजधानी में अपने जीत का परचम फहराया जबकि कांग्रेस को दिल्ली में पहली बार एक ही सीट से संतोष करना पड़ा था।


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