Saturday, May 25, 2019

Today's city and cinema through Delhi_आज का शहर और सिनेमा वाया दिल्ली



देश काल से परे देखने वाली एक खोजी आंख और उसे दर्ज करने वाले एक कैमरे के फ्रेम के लिए दिल्ली एक मुफीद शहर है। इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे अनेक शानदार स्थानों और बसावटों वाले इस शहर को भला सिनेमा कैसे नजरअंदाज कर सकता है? दिल्ली, निस्संदेह एक सिनेमाई जादू की अनुभूति करवाने वाला महानगर है।


उल्लेखनीय है कि दिल्ली पर्यटन ने वर्ष 2018 में एक कैलेंडर छापा था, जिसमें राजधानी के लोकप्रिय सिनेमाई शूटिंग स्थलों को प्रदर्शित किया गया था। इस कैलेंडर में इंडिया गेट, जंतर मंतर, हुमायूं मकबरा, निजामुदीन दरगाह, कुतुब मीनार, जामा मस्जिद, अग्रसेन की बावली, लालकिला, नाॅर्थ ब्लाॅक, ग्यारह मूर्ति, गुरूद्वारा बंगला साहिब और कनाट प्लेस के रंगीन चित्रों सहित इन स्थानों पर फिल्माई गई फिल्मों क्रमशः बैंड बाजा बारात, अब होगा धरना अनलिमिटेड, कुर्बान, राॅकस्टार, फना, बजरंगी भाईजान, सुल्तान, दिल्ली 6, पीके, चांदनी, विक्की डोनर, बेवकूफियां का वर्णन था। इतना ही नहीं, दिल्ली पर्यटन ने दिल्ली में फिल्म शूटिंग के लिए एक मैन्यूल भी बनाया है। जिसमें राजधानी की 31 प्रकार के स्थानों का विवरण देते हुए यहां फिल्म बनाने के फायदों और सुविधाओं का विवरण है। शायद इसी का परिणाम था कि पिछले साल प्रदर्शित दो फिल्में "सुई धागाः मेड इन इंडिया" और "जलेबीः द ऐवरलास्टिंग टेल ऑफ लव" में दिल्ली की उल्लेखनीय उपस्थिति थी। इन फिल्मों में राजधानी के कुछ अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाली गई।शाहजहांनाबाद के समय के बसे चांदनी चौक के छोटे-छोटे बाजारों, जो कि कटरा कहलाते हैं, की खास बात यह है, वहां मिलने वाले विशेष उत्पाद। फतेहपुरी का बाजार कपड़ों के लिए लोकप्रिय है, जहां के कटरे विभिन्न वस्त्रों की बिक्री के लिए जाने जाते हैं। यहां कपड़े की खरीद थोक में होती है। चांदनी चौक में सूती से लेकर जॉर्जेट, शिफॉन, और महीन कपड़ा मिलता है। जबकि किनारी बाजार अपने कपड़ों के लेस सहित दूसरे सजावटी सामान के लिए मशहूर है। यहां जरी और किनारी की सामग्री और डिजाइन बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है।

वही, दिल्ली के रहने वाले पुष्पदीप भारद्धाज निर्देशित और वरुण मित्र और रिया चक्रवर्ती अभिनीत "जलेबी" फिल्म, जो कि एक प्रेम कहानी है, में पुरानी दिल्ली के दशकों पुराने कबूतरबाजी के शौक को दिखाया गया है। इसमें वरुण ने पुरानी दिल्ली की गलियों से सैलानियों को परिचित करवाने वाले एक व्यक्ति देव की भूमिका निभाई है। देव के मुख्य किरदार के बहाने राजधानी के खान-पान और गलियों के इतिहास को एक लड़की के प्यार भरी कहानी से पिरोते हुए पर्यटन के खांचे के इतर एक दूसरी ही दिल्ली को दिखाने की कोशिश है। वह बात अलग है कि यह फिल्म रेल के डिब्बे की खिड़की से युगल जोड़े के आलिंगन की तस्वीर के पोस्टर को लेकर भी चर्चा में रही थी। रिया चक्रवर्ती ने फिल्म की पुरानी दिल्ली में शूटिंग के दौरान जोश में इतनी जलेबियां खाई कि वह बाद में बीमार हो गईं।

लेखक-निर्देशक शरत कटारिया की वरुण धवन और अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म सुई धागा की शूटिंग गाजियाबाद जिले के मोदी नगर में हुई। वही राजधानी में कपड़े के थोक बाजार चांदनी चौक सहित कनाॅट प्लेस से सटे शंकर मार्किट में भी इसके दृश्य फिल्माए गए। उल्लेखनीय है कि इस फिल्म में वरुण ने मौजी नामक एक दर्जी और उसकी पत्नी ममता के किरदार में अनुष्का ने एक कढ़ाई करने वाली महिला की भूमिका की है। इस फिल्म के लिए निर्माता ने शंकर मार्किट में एक दुकान किराए ली थी और फिल्म की कहानी के अनुरूप दुकान के भीतर लकड़ी का काम करवाया था। इतना ही नहीं, शूटिंग के लिहाज से दुकान के बाहर गलियारों के कुछ खंभों की भी दोबारा पुताई की गईं।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के सबसे पुराने बाजारों में से एक चांदनी चौक कढ़ाई में काम आने वाली विभिन्न प्रकार के कच्चे माल का सबसे अच्छा ठिकाना है। जो कि दूसरे शहरों में आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है। चांदनी चौक में मिलने वाले सामान में जरी, चिकन और रेशम की साड़ियाँ भी शामिल हैं। इस फिल्म की कहानी के मुख्य पात्रों के दर्जी होने और इस व्यवसाय से जुड़े होने के कारण फिल्म की शूटिंग के लिए चांदनी चौक से बेहतर कोई विकल्प संभव ही नहीं था।

आज दिल्ली के इतिहास को जानने-समझने के लिए पुरानी दिल्ली की गलियों को खंगालने का शगल एक पेशेवर रूप अख्तियार कर चुका है। ऐसी सैरों और उससे जुड़ने वालों की बढ़ती संख्या के लिए, मौजूदा दौर की दिल्ली विषयक फिल्मों का योगदान भी कमतर नहीं है।

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