24082019, दैनिक जागरण |
Saturday, August 24, 2019
First Public works in Delhi by Britishers_दिल्ली में पहले अंग्रेजी सार्वजनिक निर्माण कार्य का इतिहास
दिल्ली में रेलवे स्टेशन (आज का पुराना दिल्ली स्टेशन) के बनने के बाद टाउन हाल बना। यह विक्टोरिया दौर की अंग्रेज़ों के नागरिक निर्माण की सोच का स्वाभाविक परिणाम था। टाउन हाल का कुल क्षेत्रफल तत्कालीन नगर पालिका के कार्यालय से दोगुना था। उस इमारत में बाद में, चैम्बर ऑफ़ कामर्स, एक लिटरेरी सोसाइटी और एक संग्रहालय का भी प्रावधान किया गया। अंग्रेज़ों की इन सारी कोशिशों के मूल में स्थानीय व्यक्तियों की सोच को विकसित करना था, जिससे देसी नागरिकों और यूरोपीयों लोगों के बीच आदान प्रदान को बढ़ावा मिल सकें। तत्कालीन अंग्रेज कमीश्नर कूपर टाउन हाल के भीतर कोतवाली बनवाना चाहता था, जिससे पंजाब के न्यायिक आयुक्त ने अस्वीकृत कर दिया। दिल्ली की जनता ने अस्वीकृति के इस निर्णय का तहेदिल से स्वागत किया।
इन वफादारों ने अपनी मांग को बतौर "दिल्ली के लोग" के रूपक के हिसाब से पेश किया। वर्ष 1866 में नगरपालिका ने विशेष प्रयास करते हुए 135457 रूपए में यह इमारत खरीद ली। एक लाइब्रेरी और एक यूरोपीय क्लब की अलग से व्यवस्था रखी गई।
तत्कालीन अखबार "मुफसिल" ने इस घटना के बारे में लिखा, भारतीयों और यूरोपीय नागरिकों में यह भावना है कि सरकार को कुल दो लाख रूपए की लागत में से शिक्षा विभाग के दस हजार रूपए लौटाकर इस इमारत से उनका बोरिया बिस्तर बांध देना चाहिए। भारतीय नागरिकों की भावना न केवल इमारत से जुड़ी है बल्कि वे यहां पर लगाने के हिसाब से दिल्ली के इतिहास में हुए नामचीन व्यक्तियों के आदमकद चित्रों को भी जुटा रहे हैं।
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