Saturday, August 3, 2019

Stages of Creativity_संस्कार, पुरस्कार, तिरस्कार








संस्कार, पुरस्कार, तिरस्कार।


एक अपनी धुन-स्व प्रेरणा से रचने का संस्कार है, जिसमें किसी तरह की प्राप्ति को कोई विचार नहीं है।
दूसरा, काम कैसा भी हो, दूसरों की नज़र में चढ़ने के लिए पुरस्कार मिले इस विचार से बही खाते में लिखने का व्यापार है।
तीसरा, तिरस्कार है जो स्व-अर्जित अनुभव की व्यथा-कथा को सामूहिक चेतना के लिए कलम से कागज़ पर उतारने का उपक्रम है।


ऐसे में यह स्वांत सुखाय: और पुरस्कार के लिए लिखने के व्यापार से हर स्थिति में बेहतर है।

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...