Suicide_Sushant Singh_Hindi Cinema_All My Sons_हिन्दी सिनेमा_सफलता_मौत
हिन्दी सिनेमा के सुनहले पर्दे की चमक और सफलता, असली जिन्दगी में कितनी क्षणभंगुर और उसमें काम करने वाले कलाकारों का अंत (मौत) अकल्पनीय रूप से कितना भयावह है?
आज हर कीमत पर कथित सफलता हासिल करने के फेर में परिवार और संस्कार से दूर होकर व्यक्ति की देह और मन पर इतनी खरोंचे पड़ जाती हैं कि उसे अंत में अपनी जिंदगी खत्म करना ही सबसे आसान उपाय लगता है। नोबल पुरस्कार विजेता (1936) और अमेरिकी नाटककार आर्थर मिलर के प्रसिद्ध नाटक "आल माय सन्स" में भी हर काम और सम्बन्ध को मुनाफे के लिए इस्तेमाल करने वाले एक व्यक्ति और अंत में उसके अपने धतकरम के कारण उसके अपने एकलौते जवान पाॅयलट बेटे की दुर्घटना में असामयिक मौत का कथानक कुछ ऐसी ही भयावहता को रेखांकित करता है। ग्रेजुएशन में यह नाटक पढ़ा था, आज अनायास ही याद आ गया।
No comments:
Post a Comment