खाली अहसास है, मन में विश्वास है
मां की बरसी थी, सो आंखे भीग आई । अंगुलियां खुद-ब-खुद चलने लगी । कब उतर गए शब्द पता ही नहीं चला, अभी भी अधूरापन है । चार बरस हो गए । खाली अहसास है, मन में विश्वास है कि वो यही कहीं है, मेरे पास है ।
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