Thursday, May 24, 2012
I heard your name today
मैंने आज तुम्हारा नाम सुना ।
लगा सुदूर के शहर जैसा
जाना-पहचाना ।
जैसे याद एक कहानी का किस्सा ।
कहीं देखी एक पाती ।
ऐसा अपनापा
लगता कि खुद ही था वही ।
और ऐसा परायापन
हो सकता था जो कहीं भी ।
इस्तानुबल
लंदन
दिल्ली
मैंने आज तुम्हारा नाम सुना
लगा सन्नाटे का मौन
लिपटा हुआ निस्तब्धता से ।
( मित्र अरविंद जोशी की अंग्रेजी कविता का हिंदी अनुवाद )
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