Saturday, July 21, 2012

Swami-Girish Karnard

पिया आवन कह गए अजहुँ न आए, अजहुँ न आए स्वामी हो
ऐ जो पिया आवन कह गए अजुहँ न आए। अजहुँ न आए स्वामी हो।
स्वामी हो, स्वामी हो। आवन कह गए, आए न बारह मास।
जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए। अजहुँ न आए।
आवन कह गए। आवन कह गए।
अमीर खुसरो की इन पंक्तियों से शरतचन्द्र चटर्जी के उपन्यास पर बनी बासु दा की फिल्म स्वामी की अनायास ही याद हो आई। इस फिल्म की पटकथा मन्नू भण्डारी ने लिखी थी। अपने समय की एक खूबसूरत और मन में गहरे उतर जाने वाली फिल्म स्वामी के गीत अमित खन्ना ने लिखे थे और संगीत राजेश रोशन ने दिया था। येसुदास की आवाज में, का करूँ सजनी, आये न बालम विरह और बेचैनी को सार्थक करती है।
1977 में बनी इस फिल्म में हिन्दी दर्शकों ने पहली बार कन्नड़ अभिनेता-रंगकर्मी गिरीश रघुनाथ कर्नाड को नायक के रूप में देखा। एक नायिका को पारिवारिक अनुशासन में विवाह होने के उपरान्त प्रेमी की दुनिया में अपने छूटे अपने मन से उत्पन्न विचलन को व्यक्त करती इस फिल्म की नायिका शाबाना आजमी थी।

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