असदुल्ला खान मिर्ज़ा ग़ालिब के दो समकालीनों ने उनकी जीवनियाँ लिखी | ये हैं हाली द्वारा रचित ' यादगारे- ए - ग़ालिब ' ( 1897 ) और मिर्जा मोज द्वारा ' हयात - ए - ग़ालिब ' ( 1899 ) | ये जीवनियाँ हमें उनकी जिंदगी और वक़्त को समझने की अंतदृष्टि देती है |
ग़ालिब के उर्दू दीवान का पहला संस्करण 1841 में प्रकाशित हुआ | मयखाना - ए - आरजू ' शीर्षक के अंतर्गत फारसी लेखक का संग्रह 1895 में प्रकाशित हुआ | उनकी फारसी डायरी ' दस्तम्बू ' ( 1858 ) सिपाही विद्रोह और दिल्ली पर इसके प्रभाव का प्रमाणिक दस्तावेज है | 1868 में कुल्लियत - ए - नत्र - ए - फारसी - ए ग़ालिब ' नाम से उनका फारसी लेखन का एक और संग्रह प्रकाशित हुआ जिसमे पत्र , प्राक्कथन , टिप्पणियाँ आदि थे | एक गद्द्य लेखक के रूप में उनकी ख्यति उनके पत्रों के कारण है , जो ' उद् - ए - हिंदी ' ( 1868 ) और ' उर्दू - ए - मुअल्ला '(1869) नाम के दो संकलनों में प्रकाशित है |
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