Thursday, November 29, 2012

Mumbai:prism


पता नहीं कितने युवा आंखों में सपने लिए समुंदर किनारे मायानगरी में आते हैं । कितने मुंबई के किनारे पर आने वाली लहरों पर आकर दम तोड़ देते है । और खत्म हो जाते हैं सपने, बंद आंखों में सदा के लिए । समुंदर किनारे, पानी की सतह पर आ जाती लाशें, गुमनामी के गहरे अंधेरे में डूबकर । सपना देखने वाली आंखें और शख्स दोनों हो समां जाते है चमकते ब्लैक होल में मुंबई के ।

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...