नागार्जुन की लिखी पंक्ति याद आ गई जो शायद कुछ पढ़े लिखों ने पढ़ी नहीं या पढ़कर भूल गए ।
यह माओ कौन है, बेगाना है यह माओ ।
आओ इसकी नफरत को थूकों से नहलाओ ।
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