Sunday, January 25, 2015

Change of meaning_परिवर्तित अर्थ, व्याख्या और सन्दर्भ



 कनाट प्लेस में रहते हुए मैंने कभी पिज़्ज़ा या बर्गर नहीं खाया पर शादी के बाद पहली बार बीवी के लिए अब संतान की खातिर, मैं न केवल वहां जाता हूँ बल्कि खाता भी हूँ, सो समय के साथ अर्थ, व्याख्या और सन्दर्भ सब परिवर्तित हो जाता है.

Saturday, January 24, 2015

संभावना_possibility



सुधार की संभावना तो चिता पर पहुँचने तक होती है और आलोचना कभी समाप्त नहीं होती, सो घबराना कैसा!
जब तक जीवन है, जीने का संघर्ष है.
स्वप्न का साकार होना ही कसौटी है, कितनों को अपनी कल्पना को साकार देखने का सौभाग्य मिलता है, ऐसे सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से एक होना तो उत्सव मनाने की बात है.
वैसे, सार्वजनिक होने से भी सत्य परिवर्तित नहीं हो जाता हालांकि कम व्यक्ति ही उसे पचा पाते हैं.

Friday, January 23, 2015

communists against subhas bose_




दूसरे विश्व युद्ध के पूरे काल में कम्युनिस्ट पार्टी और उसके समर्थक लेखकों की इतिहास दृष्टि कुहासे से भरी और आत्मघाती रही है। युद्ध के पहले ही विचारधारा को ताक पर रख कर स्टालिन ने हिटलर से समझौता किया था। रूस और जापान का समझौता पूरे युद्ध काल में बरकरार रहा था। 
फासिस्ट ताकतों के किए गए इन दोनो समझौतों के खिलाफ कम्युनिस्टों ने उंगली नहीं उठाई सुभाष बोस जब जर्मनी गए, जर्मनी का रूस से समझौता बरकरार था। 
वे जब जापान पहुंचे और आजाद हिंद सरकार के प्रधान हुए, रूस ने न तो जापान न तो कभी सुभाष बोस की सरकार के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की।
लेकिन भारत में बैठे, अंग्रेजों की टहलुआ बनी कम्युनिस्ट पार्टी , उसके संगठन प्रलेस और इप्टा ने अपनी ओर से बोस के विरुद्ध चुनिंदा राजनीतिक गालियों के साथ युद्ध की घोषणा कर दी। 
वे ‘भारत छोडो’ आंदोलन की पीठ में छूरा भोंकते रहे। 
उस समय इस देश के हजारों बेगुनाह लोगों की हत्या, लाखों की यंत्रणा, हजारों की कैद, आगजनी, लूट, महिलाओं के सम्मान पर हमला प्रलेस और इप्टा के जन पक्षधरता के नायकों की इतिहास दृष्टि और लेखकीय संवेदनशीलता से ओझल रह गया।

Thursday, January 22, 2015

Job security in Journalism_लाल-दीवाने



ये कहाँ आ गए हम, यूहीं साथ चलते-चलते 
रक्त तो हर व्यक्ति का लाल ही होता है फिर पत्रकार का तो और भी गाढ़ा होता है. हो भी क्यों न, समाज की हर बुराई को देखकर उबल जाता है, माथे पर चिंता के रेखा बन जाती है.
बस अगर वह बुराई, पत्रकारिता और पत्रकारों से सम्बंधित हो तो जोश ठंडा पड़ जाता है, आँखों में खून उतरने की बजाए शर्म मर जाती है.
सरकारी कर्मचारियों के वेतन आयोग पर तो आलोचनात्मक नजरिया रखते हैं पर पत्रकारों के वेतन आयोग पर जुबान सिल जाती है.
कुछ पत्रकार नौकरी जाने पर भी सिर पर लाल पट्टा बांधकर मैदान में नए सिरे से मोर्चा खोल लेते हैं तो कुछ उंगली कटा कर शहीद होने का दावा करते हुए दुनिया भर को दुहाई देने में जुट जाते हैं कुछ इस अंदाज में कि मानो दुनिया भर के मजदूर एक हो जाओ का नारा बुलंद कर रहे हो !
दिन में लाला की नौकरी और रात में प्रेस क्लब में सब लाल.एक ऐसे लाल-दीवाने ने प्रेस क्लब में ब्रह्मोस मिसाइल के मॉडल को तोड़कर अपनी प्रगतिशीलता का नमूना पेश किया था.
तिस पर किसी बौद्धिक चैनल को कुछ गलत नहीं लगा था, शायद पता भी न लगा हो. 
कभी संवाद के गुण के लिए जानी जाने वाली पत्रकारिता, पहले वाद में बंटी और अब विवाद में जुटी.

Saturday, January 17, 2015

अनन्या चौहान-राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय



मेरी बेटी अनन्या चौहान ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की संस्कार रंग टोली का अगस्त २०१४ से जनवरी २०१५ तक रविवार क्लब भाग-१ का पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा किया.

इतने में सबका 'आशीर्वाद' तो बनता ही है.

(बहिन-भाई की फोटो: अनन्या और अनंत)

Friday, January 16, 2015

Gandhi-Hindus:forced conversion

I see nothing impossible in asking the Hindus to develop courage and strength to die before accepting forced conversion. I was delighted to be told that there were Hindus who did prefer the Moplah hatchet to forced conversion. If these have died without anger or malice, they have died as truest Hindus because they were truest among Indians and men.
(Moplah Massacre in Young India, 26-1-1922, CWMG vol. 26, pp 24-27)

Tuesday, January 13, 2015

rajasthani women folk_रूदाली गान



जब मैं छोटा था और गांव जाता था तो कई बार अपनी माँ, मामी सहित घर की स्त्रियों को पड़ोस में हुई मृत्यु को शोक प्रकट करने, घूँघट करके रोते हुए जाते देखा.
तब समझ में नहीं आता था कि भला किसी और घर में उसके स्वजन के देहांत पर इतनी सारी स्त्रियों को एकसाथ रोना कैसे आ सकता है ?
आखिर किसी व्यक्ति के देहांत से होने वाला दुख और संवेदना एक साथ सब के मन में समान कैसे हो सकती है ?
किसी की स्मृति इतने मशीनी तरीके से कैसे आ-जा सकती है पर आज पेशावर में बच्चों के दुखद हत्याकांड के बाद फेसबुक पर उमड़ी संवेदना और दुख न जाने क्यों बचपन में ननिहाल की इस घटना की याद ताज़ा कर दी जो स्मृति-शेष में कहीं रह गयी थी.

Monday, January 12, 2015

Europe under siege of terrorism_आतंकवाद के शिकंजे में यूरोप

 

नवंबर 2003, इस्तांबुल
पांच दिनों के अंदर तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामी आतंकवादियों ने कई हमले किए. इसमें 58 लोगों की मौत हो गई और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए. प्रार्थनागृह के सामने, ब्रिटिश बैंक और वाणिज्य दूतावास पर भी हुए थे हमले. आरोपी आतंकवादियों को 2007 में दोषी ठहराया गया.

मार्च 2004, मैड्रिड
स्पेन के इतिहास में दर्ज हुए इस सबसे बड़े आतंकवादी हमले में 191 लोग मारे गए और 1,800 से ज्यादा घायल हुए. अलग अलग रेलगाड़ियों में कई बम रखे गए थे. इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ लिया गया और सभी दोषियों को मिलाकर 43,000 साल के कारावास की सजा सुनाई गई.

जुलाई 2005, लंदन
इसे ब्रिटेन के इतिहास में सबसे गंभीर इस्लामी आतंकवादी हमला माना जाता है. लंदन की तीन मेट्रो रेलों और एक बस में आत्मघाती हमले हुए, जिनमें 52 लोगों की जान गयी और 150 घायल हुए. चार में से तीन आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक थे और चौथा जमैका मूल का. इन सबने अपने बैग में बम रखे थे.

सितंबर 2005, डेनमार्क
30 सितंबर को डेनिश अखबार जाइलांड्स ने इस्लामी मान्यताओं से जुड़े बारह कार्टून प्रकाशित किए. उनमें से एक कार्टून में पैगंबर मोहम्मद के सिर पर पगड़ी की जगह बम रखा दिखाया गया था. इस चित्र के विरोध में दुनिया भर में खूनी विरोध प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में ऐसे कार्टून प्रकाशित करने वाली पेरिस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ की भी सुरक्षा बढ़ानी पड़ी थी.

नवंबर 2011, पेरिस
फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दॉ 2011 में आतंकी हमले का शिकार बनी. कुछ अज्ञात हमलावरों ने पत्रिका के संपादकीय कार्यालय में एक कॉकटेल बम फेंका था. पत्रिका इस्लामी मामलों पर टिप्पणियां और कार्टून प्रकाशित कर रही थी जिसे कई लोग पसंद नहीं करते थे. हमले के बाद फिर से पत्रिका के कार्यालय को पुलिस संरक्षण देना पड़ा.

मई और सितंबर 2014, ब्रसेल्स
24 मई को ब्रसेल्स के मशहूर यहूदी संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर हुई गोलीबारी में चार लोग मारे गए. इसी साल सितम्बर में ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संघ आयोग के मुख्यालय पर भी हमला करने की एक नाकाम कोशिश हुई थी.

जनवरी 2015, पेरिस
सबसे ताजा हमले में पेरिस की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के कार्यालय पर हथियारों से लैस आतंकियों ने हमला बोला और कई पत्रकारों, कार्टूनिस्टों को निशाना बनाया. इन अपराधियों को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं और अभी तक किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसे "बर्बरता का असाधारण कृत्य" बताया है.

आजादी पर हमला
शार्ली एब्दॉ पर हमले को दुनिया भर में अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक हमला माना जा रहा है. यूरोप समेत विश्व के कई देशों में मीडिया, राजनेताओं और आम लोगों ने इस आतंकी वारदात की कड़ी निंदा की है. चित्र में दिख रहे पत्रिका के संपादक को हमलावरों ने 7 जनवरी को किए अपने हमले में मौत के घाट उतार दिया. वह यूरोप में साहसी लेखन की मिसाल बन चुके एक निडर सेनानी थे.

Sunday, January 11, 2015

Cost of Buffet_ थाली जीमन



बीस हज़ार रुपए से अधिक की थाली 'जीमने' पर नाम बताना पड़ता है जैसे बैंक खाते में पचास हज़ार रुपए से अधिक जमा करवाने पर पैन नंबर बताना पड़ता है.

सो, थाली बीस हज़ार रुपए से कम की भली और खाते में जमा-पैसा उनचास हज़ार रुपए ही भला !

Birds in Sky_परिंदों की ऊंची उड़ान



उड़ान कितनी ऊँची क्यों न हो, परिंदे को जमीन पर वापिस आना पड़ता है.
पैर ही अगर जड़ हो जाएंगे तो जीवन आगे बढ़ेगा कैसे?
कंधे से कंधा मिलकर ही दूसरे का बोझ साँझा किया जा सकता है, आखिर जमीन पर टिके पांव ही तो आकाश छूने का हौंसला देते हैं.

Wednesday, January 7, 2015

French cartoon_मोमबत्ती जलाने और कबूतर उड़ाने वाले

100 lashes if you do not die laughing...


तैयार हो जाए, उड़ान के लिए 
फ्रांस की सीमा पर मोमबत्ती जलाने और कबूतर उड़ाने वाले... 

is it religion यह कैसा धर्म?

 
कैसी है पहेली ?कम है तो विशेष अधिकार, बराबर तो सत्ता में भागीदार, ज्यादा तो दूसरे जायेगे दोज़ख पार

Thursday, January 1, 2015

LT GOVERNOR DELHI-DIPRA


दिल्ली सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी संघ (डिप्रा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राजनिवास में दिल्ली के उपराज्यपाल श्री नजीब जंग से मिलकर उन्हें नव वर्ष के उपलक्ष्य में बधाई दी. इस अवसर पर संघ के पदाधिकारियों ने सूचना सेवा से सम्बंधित कैडर के अधिकारियों और कर्मचारियों के वर्तमान वेतनमान के पुनरीक्षण और आधुनिक जरूरत को देखते हुए सूचना निदेशालय में नए पदों के सृजन के लिए एक ज्ञापन भी सौपा. इसके अलावा, डिप्रा ने दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार के तंत्र अधिक मजबूत करने के लिए आधुनिक संचार साधनों से संबंधित बुनियादी सुविधायों से लैस करने की अपील की.
डिप्रा की ओर से अध्यक्ष श्री नलिन चौहानउपाध्यक्ष श्री विनोद गुप्तासचिव श्री अमित कुमार एवं श्री चन्दन कुमार,संयुक्त सचिव श्री मनीष कुमार, श्री गोविन्द कुंडलिया, श्रीमती उर्मिल बेनीवाल एवं श्रीमती प्रवीन मिश्रा तथा छायाकार श्री अजय कुमार, श्री योगेश जोशी एवं श्री श्याम नारायण उपाध्याय ने अपने साथियो के साथ उपराज्यपाल से मुलाकात कर व्यावहारिक जरूरतों से अवगत कराया.
उपराज्यपाल ने संघ के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि सरकार इस सम्बन्ध में हर संभव सहायता करेगी. उन्होंने देश के अन्य राज्यों के तर्ज पर राजधानी दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय में ढांचागत सुविधाएं और मानव संसाधन बढ़ाने की जरुरत को स्वीकार करते हुए ज्ञापन पर शीघ्रता से कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के लगभग सभी प्रमुख विभागों/निकायों/आयोग के सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारियों ने दिल्ली में सूचना एवं जनसंपर्क को बढ़ावा देने के साथ साथ दिल्ली की कला एवं संस्कृति के संबर्धन व नगर की स्वच्छता पर काम करने के लिए दिल्ली सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी संघ (डिप्रा) का गठन किया है. इसका मुख्य मकसद सूचना के तमाम अति आधुनिक प्रचार साधनों के माध्यम से दिल्ली सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुचाना है. इसके आलावा डिप्रा सरकार के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में दिल्ली सरकार के सभी विभागों से परस्पर सहयोग एवं सामंजस्य से लगातार प्रयासरत है. 
श्री नजीब जंग ने डिप्रा के प्रतिनिधियों को उनके सरकार के कार्यों के सकारात्मक प्रचार के लिए सराहा. उन्होंने डिप्रा के प्रतिनिधियों के अलावा दिल्ली सरकार के सम्बंधित अधिकारियों को दिल्ली सरकार के सूचना एवं जन संपर्क विभाग को अन्य राज्यों के तर्ज पर नए रूप में माडल प्रचार विभाग बनाने की दिशा में पहल करने का निर्देश दिया.



A delegation of “Delhi Information and Public Relation Officers Association” (DIPRA) today met the Delhi Lt. Governor Sh. Najeeb Jung at Rajniwas and greeted him on the occasion of New Year 2015. The delegation also sublitted a memorandum regarding the revision of present pay scale of the Officers/officials of Information Department and creation of new posts in new modern age of knowledge based society. The delegation consists of Sh. Nalin Chauhan, President, Sh. Vinod Gupta, Vice President, Shri Amit Kumar, Sh. Chandan Kumar, Secretary, Sh. Manish Kumar, Sh. Govind Kundalia, Smt. Urmila Beniwal and Smt. Pravin Mishra Joint Secretaries along with photographers Sh. Ajay Kumar, Sh. Yogesh Joshi and Sh. S. N. Upadhyay.
The Lt. Governor praised the working of the Delhi Government PR Officers/officials and said it was good to see that these officers were performing the duty to publicize the Government policies, schemes and achievements in limited infrastructure support. The delegation also underlined the functional needs in new modern age of journalism and Public Relation. He assured the delegation that the Government would ensure the justice is done with the information cadre officers and officials. The Lt. Governor agreed with the need to increase the manpower and infrastructure in the Information Department. He assured for a positive and time bound action in this regard.  
DIPRA have formed an association namely “Delhi Information and Public Relation Officers Association” with an prime cause to publicize the policies, schemes, initiatives and achievements of Government of NCT of Delhi among the citizens of capital city. Not only this, DIPRA will also promote the activities related to art, culture and heritage of the capital apart from the cleanliness campaign. In fact, with the promotion of the developmental, cultural and social activities of State Government, the organization will also to take care of the welfare of the Publicity Officers.

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...