जब मैं छोटा था और गांव जाता था तो कई बार अपनी माँ, मामी सहित घर की स्त्रियों को पड़ोस में हुई मृत्यु को शोक प्रकट करने, घूँघट करके रोते हुए जाते देखा.तब समझ में नहीं आता था कि भला किसी और घर में उसके स्वजन के देहांत पर इतनी सारी स्त्रियों को एकसाथ रोना कैसे आ सकता है ?आखिर किसी व्यक्ति के देहांत से होने वाला दुख और संवेदना एक साथ सब के मन में समान कैसे हो सकती है ?किसी की स्मृति इतने मशीनी तरीके से कैसे आ-जा सकती है पर आज पेशावर में बच्चों के दुखद हत्याकांड के बाद फेसबुक पर उमड़ी संवेदना और दुख न जाने क्यों बचपन में ननिहाल की इस घटना की याद ताज़ा कर दी जो स्मृति-शेष में कहीं रह गयी थी.
Tuesday, January 13, 2015
rajasthani women folk_रूदाली गान
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...
No comments:
Post a Comment