Sorrow_Human state of mind_क्योंकि सपना है अभी भी_धर्मवीर भारती
जीवन में यदाकदा स्वपन, दु:स्वपन साबित होते हैं पर इससे सपने देखने की इच्छा समाप्त नहीं होनी चाहिए। आखिर जीवन है तो सपना है। दूसरे अर्थ में देखें या हिन्दी के प्रसिद्ध संपादक (धर्मयुग पत्रिका) और सम्मानित कवि धर्मवीर भारती के शब्दों (क्योंकि सपना है अभी भी शीर्षक कविता) में कहे तो,
No comments:
Post a Comment