Sunday, November 26, 2017

पद्मिनी का तो बहाना है_Anti Hindu vemon on the name of padmani



न्यूज़ वेबसाइट स्क्रॉल से "पद्मिनी" पर जेएनयू से इतिहास में पीएचडी कर रही रुचिरा शर्मा के लेख को स्वेच्छा से हटा दिया है, जिसमें रुचिरा ने एक दूसरे राजपूत राजा को "पद्मिनी" के जौहर का कारण बताया था.

वैसे एक पक्षीय इतिहास बताता यह कोई पहला लेख नहीं है, एक दूसरे लेख में अपने चाचा-ससुर को मार कर गद्दी पर काबिज अलाउद्दीन खिलजी को "रियाया का सुल्तान" बताने वाली लेखिका यह बात छिपा जाती है कि अलाउद्दीन खिलजी ने ही इस्लामी कानून के नाम पर जजिया देने में असमर्थ हिन्दू प्रजा को बाज़ार में गुलाम के रूप बेचने को सबसे पहली बार 'मान्यता' प्रदान की थी. बाकि मालिक काफूर से खिलजी के संबंध के लिए गूगल सर्च पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है, उसके चरित्र को जानने के लिए.


वैसे जवाहर लाल नेहरु ने भी "भारत एक खोज में" राघव चेतन की खिलजी से दक्षिणा के लालच में मंथरा की भूमिका निभाने की बात का उल्लेख किया है, जिसने मेवाड़ से निर्वासित होने के बाद दिल्ली दरबार में जाकर काम-पिपासु खिलजी को पद्मिनी का सौन्दर्य बताकर चित्तौड़ पर आक्रमण के लिए उकसाया था.

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