Saturday, November 25, 2017
Delhi in British Maps_अंग्रेज़ नक्शों की दिल्ली
वर्ष 1882 में थॉमस ओलिवर ने दिल्ली के राजस्व सर्वेक्षणों का आरंभ किया, जिन्हें 1870-72 में सुधारा गया। उस समय की दिल्ली क्षेत्र का फैलाव अंबाला, हिसार, लुधियाना और फिरोजपुर तक था। सर्वेक्षण (नक्शे बनाने का काम) का संबंध सामान्य रूप से भूमि को नापना और तदनुसार उन्हें कागज पर चित्रित करना है जिससे कि पृथ्वी की सतह की विशेषताओं की पहचान जहां तक ईमानदारी से संभव हो मानचित्र पर पैमाने की सीमाओं के भीतर चित्रण करना है।
ईस्ट इंडिया कंपनी की सैनिक आवश्यकताओं का ध्यान रखने के लिए वर्ष 1905 में बनी एक सर्वेक्षण समिति ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग की नीति और कार्य के स्वरूप को तय किया। इसी क्रम में समिति ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राजस्व सर्वेक्षण करने के कार्य को स्थानांतरित करते हुए यह जिम्मेदारी प्रांतीय प्रशासन पर डाल दी।
जब अंग्रेज बंगाल, अवध से होते हुए भारत की पश्चिम दिशा की ओर बढ़े तो यमुना नदी से आगे के नए जिलों के सीमांकन के काम की जिम्मेदारी फ्रांसिस व्हाईट को सौंपी गई। यह अंग्रेज सर्वेक्षक वर्ष 1805-06 में कर्नल बॉल की सैन्य ब्रिगेड के साथ रेवाड़ी के आगे के सैनिक अभियानों में नक्शे बनाने का काम कर रहा था। उसने अपने इसी काम को मूर्त रूप देते हुए इस भूभाग के लिए “दिल्ली, हांसी और जयपुर का त्रिभुज” शीर्षक से एक नक्शा बनाया।
फिर उसने वर्ष 1807 में दिल्ली के पड़ोस का नक्शा तैयार किया। यह हाथ से बनाया गया नक्शा है जिसकी मूल प्रति भारतीय सर्वेक्षण विभाग, देहरादून में सुरक्षित है। यह एक दिलचस्प नक्शा है जो कि आज की राजधानी के कई गांवों और स्थानों को दिखाता है, जैसे तालकटोरा, रकाबगंज, जंतर मंतर, चिराग दिल्ली और महरौली। फिर शाहजहांबाद की दिल्ली है। यह नक्शा जामा मस्जिद का एकदम सटीक अक्षांश-28 डिग्री, 38 मिनट 40 सेकंड का बताता है। दिल्ली का यह मानचित्र एक मील के लिए 0.79 इंच के पैमाने के आधार पर तैयार किया गया था। इस मानचित्र में उत्तर-पश्चिम की दिशा से शाहजहानाबाद में आने वाली नहर का भी चित्रण किया गया है। इसी तरह, वर्ष 1850 के आसपास बनाया गया शाहजहांबाद का एक मानचित्र है, जिसमें चांदनी चौक के उत्तर में बनी लगभग सभी गलियां और कूचों तथा बड़े बगीचों को दिखाया गया है, जिनकी जगह अब पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन है।
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