Saturday, March 31, 2018
chandni chowk in foriegn travellers literature_विदेशी यात्रियों की नज़र में चांदनी चौक
"पिक्चरस्कयू इंडिया" (1898) पुस्तक में डब्ल्यू.एस कैन लिखते हैं कि शहर के बाजारों में हाथीदांत और लकड़ी की कारीगरी का काम करने वाले अनेक कुशल कारीगर हैं, जिनका काम चांदनी चौक की दुकानों में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। दिल्ली से बेहतर कोई जगह नहीं है, जहां देशी आभूषणों खरीदे जा सकते हैं। जिनको पहनकर गरीब हिंदू महिलाएं भी सुघड़ और सलीकेदार पहनावे वाली लगती है।
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First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
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