Saturday, June 2, 2018

My life_poem_मेरी जिंदगी






कभी ऐसे भी आना-बिना बुलावे
मेरे पास यूँही, जब न हो कहीं जाना
मेरी जिंदगी

मेरा रास्ता बेशक सीधा न हो
पर इतना मुश्किल भी, नहीं है
न खोज सकें, न पूछ सके जो
किसी से आगे होकर, नहीं है

तेरे लिए बस इतना पता है
ये जो मेरी थोड़ी सी खता है
न है जरुरी, तेरा मुझसे मिलना
मेरे नाम का तुझसे वाकिफ होना

दुनिया इतनी बड़ी नहीं, जो मिल न सकें
हैं मन की चाहत पर लब की हरकत नहीं
तेरे दोस्त, मेरे भी जानिसार हो जरुरी नहीं
फिर क्यों-कर एतबार हो, जो जुदा न हो सकें

बड़ी ख्वाहिश है तेरी
जिंदगी जो है मेरी
तेरे साए का तलबगार होकर रहना
मेरी जिंदगी

मुझ तक आना मुश्किल नहीं
जो कूकती है मानो कोयल
मेरे नाम का ही तराना

आम की बौर, कुएं की मुंडेर
रहट की आवाज़ में गूंजता नगमा
किसान की माथे से टपकता पसीना
गोरी की पायल से निकलता प्यार का नगमा

कैसे पहचान होगी, मिलन की
न देखे, न जाने, बस सुगंध की
हिरन को न दिखती कस्तूरी
पर महक भरमाती है, बढ़ाती है दूरी

अब तेरा ही हूँ, दोस्त
जैसा भी जो भी हूँ, दोस्त
अब कैसे पहचान हो
जाने-बिना भी कैसे अनजान हो

तेरी साँसों में है, जीना
तेरी बांहों में है, मरना
क्या कहना भी, जरुरी हो
मानो प्यार भी, जरुरी हो

मगर जब भी हो आना
यह सोच-समझ कर आना
तेरा जमाने से है इंतज़ार
फिर चाहे, आये न आये यार

हकीक़त न सही, हो बेशक प्यार
अगर इतना भी माना तो बेशक हो इंकार
हमें न होगा कैसे भी गम
चाहे हम न करना चाहे फिर इकरार
मगर जीना है, इसी भरम में
करते है, तुझसे कितना प्यार

तेरे साथ, चले चार कदम
देखना तुझे, जाते हुए हमदम
पल्लू सिर पर ढके, थिथके कदम
फिर चाहे जाते-ओझल होते निकले दम

जीना है, जिंदगी
साथ न सही पर पास ही सही
करीब न सही पर दूर ही सही

तेरे होने के वजूद
न होने के बावजूद
रहेगी जिंदगी तनहा ही सही
पर होगी तो चाहे जुदा ही सही
मेरी जिंदगी.

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