दैनिक जागरण, 01122018 |
Saturday, December 1, 2018
Britishers in 18 century Daryaganj_अंग्रेजों के जमाने का दरियागंज
यह एक कम जानी सच्चाई है कि 1857 से पहले की दिल्ली में अंग्रेज न केवल भारतीय क्षेत्र में रहे और निर्माण भी किया। जबकि भारत के दूसरे अंग्रेज प्रेसीडेंसी वाले कस्बों में इसके विपरीत नस्लीय अलगाव था, जहां अंग्रेज-भारतीय बसावटें अलग अलग थी। जबकि दिल्ली में अंग्रेज अधिकारी दरियागंज और कश्मीरी गेट के भीतर के क्षेत्र में किराए के घरों में रहते थे।
1844 के साल में कलकत्ता से सफर करते हुए दिल्ली आने वाले एक यूरोपीय सैनिक ने दिल्ली को देखने के बाद उसे भारत का सबसे बड़ा शहर बताया था। तब दरियागंज में महलों की इमारतों और राजाओं के घरों में अतिरिक्त मंजिले नहीं होती थी।
यमुना नदी के रास्ते या नाव के पुल के पार से आने वाले यात्री को आकाश चूमते गुम्बद और मीनारों के साथ पूरी दीवार के साथ लगे खजूर और बबूल के पेड़ दिखाई देते थे। जबकि 1845 में एक यात्री जे. एच. स्टोक्क्लर ने भारत की एक पुस्तिका में टिप्पणी करते हुए कहा दिल्ली में यूरोपीय व्यक्तियों के कार्य एक शानदार नहर, एक शस्त्रागार, एक चर्च, एक कॉलेज और एक प्रिंटिंग प्रेस तक सीमित है।
नारायणी गुप्ता ने अपनी पुस्तक "दिल्ली बिटविन द एंपायर्स" में लिखा है कि 1857 में पहली आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों की जीत के बाद (1858-1859) की अवधि में यह निश्चित नहीं था कि दिल्ली के मुसलमानों को जामा मस्जिद में दोबारा नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाएगी या नहीं। तत्कालीन अंग्रेज चीफ कमिश्नर जॉन लॉरेंस का मानना था कि दिल्ली की किलेबंदी को कायम रखते हुए यहां के निवासियों को अब दंडित नहीं किया जाना चाहिए। लॉरेंस ने पंजाब इन्फैंट्री की सुविधा के लिए जामा मस्जिद को विखंडित करने के प्रस्ताव को खारिज करते हुए इन्फैंट्री को जामा मस्जिद से दरियागंज में मवेशी के तबलों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
इतना ही नहीं, यह भी तय किया गया कि यूरोपीय सैनिक शहर के परकोटे के भीतर दरियागंज और महल (इसके बाद ही उसे किला कहा जाने लगा) और परकोटे की दीवार से बाहर हिंदूराव के घर में रहेंगे। इस तरह, 1857 से पहले की नागरिक और सैन्य स्थितियों को पूरी तरह उलट दिया गया।
अंग्रेज सेना के दरियागंज और किले को कब्जे में लेने से अचानक तो बदलाव आया पर यह बदलाव मोटे तौर पर राजनीतिक था। जामा मस्जिद, महल और दरियागंज में अंग्रेज सैनिकों के कब्जे, पुरानी दिल्ली में घरों के विध्वंस और अचानक ही रेलवे पुल के निर्माण ने पूरे शहर को मनमाने ढंग से दो फांक में बांट दिया। 1857 के बाद, दिल्ली में अंग्रेजों की जीत और भारतीयों की हार का नतीजा गरीबी और सामाजिक नैतिकता में गिरावट के रूप में सामने आया।
अंग्रेज सेना ने दरियागंज में रहने के साथ यमुना नदी की तरफ की परकोटे की दीवार का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया। अंग्रेज सरकार ने भी इस कदम पर कोई आपत्ति नहीं जताई। जबकि दरियागंज में इमारतों और सड़कों का पुराने स्वरूप कायम रहा। सिविल लाइंस वाले अंग्रेजों की बसावट वाले इलाके से अलग भारतीयों की बसावट वाले शहर के हिस्से सहित दरियागंज में इन्फैंट्री (पैदल सेना) के बैरकों, जहां अधिक जनसंख्या रहती थी, की पेयजल व्यवस्था के लिए दिल्ली गेट से एक अलग पानी के नाले की व्यवस्था की गई।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...
No comments:
Post a Comment